Rahul Gandhi Defamation Case : राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में अदालत ने उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराए जाने का फैसला उचित है और उस आदेश में हस्तक्षेप की कोई जरुरत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित है। बता दें कि ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी के खिलाफ मानहानि मामले में सत्र न्यायालय ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राहुल गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस फैसले के बाद अब उनसे सामने सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचता है।
हाईकोर्ट का फैसला
राहुल गांधी के हाईकोर्ट से इस फैसले पर पुर्नविचार करने की अपील पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस हेमन्त प्रच्छक ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक केस पेंडिंग हैं। इसके अलावा कुछ और केस भी उनके खिलाफ फाइल किए गए है। यहां तक कि एक शिकायत तो वीर सावरकर के पोते ने उनके विरूद्ध की है। उन्होने कहा कि निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाना कोई नियम नहीं है बल्कि ये एक अपवाद है। सजा पर रोक नहीं लगाना किसी तरह का अन्याय नहीं है और इस मामले में दी गई सजा न्यायोचित है। जस्टिस प्रच्छक ने कहा कि राहुल गांधी ऐसे आधार पर सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। सूरत कोर्ट के फैसले में किसी भी तरह के दखल की कोई आवश्यकता नहीं है और ये याचिका खारिज की जाती है।
ये है मामला
बता दें कि 13 अप्रैल 2019 के आम चुनाव में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी की थी। कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में उन्होने कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है?’ उनके इस बयान को आपत्तिजनक मानते हुए गुजरात में बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च 2023 को राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि इस फैसले के कुछ ही देर बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। इसके दूसरे दिन 24 मार्च को उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई। 25 मार्च को राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार किया था और 27 मार्च को उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला। 22 अप्रैल 2023 को उन्होने बंगला खाली कर दिया था। अब गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनके सामने सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचता है।