शिवपुरी, मोनू प्रधान। राज्य प्रशासनिक सेवा मध्य प्रदेश 1988 बैच के वरिष्ठ अधिकारी एवं शिवपुरी जिले में पदस्थ रहे अपर कलेक्टर जेडयू शेख सहित खनिज बाबू रामगोपाल राठौर को रिश्वतखोरी के एक मामले में शुक्रवार को न्यायालय ने सजा सुनाई है। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राधाकिशन मालवीय ने पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है। जा सुनाए जाने के बाद जेडयू शेख व रीडर राठौर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और इन्हें जेल भेज दिया गया है।
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वर्ष 2015 में 10 हजार रुपए की रिश्वत के लिफाफे के साथ ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस ने तत्कालीन एडीएम जेडयू शेख और उनके बाबू रामगोपाल राठौर को खनिज से जुड़ी एक फाइल को पूरा करने के एवज में 10 हजार रुपए की रिश्वत के आरोप में पकड़ा था। इसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने मामला कोर्ट में पेश किया और यहां से न्यायालय ने उन्हें सजा सुनाई है। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राधाकिशन मालवीय ने आरोपी तत्कालीन एडीएम जेडयू शेख को पांच साल की सजा सुनाई है और राठौर को चार साल की सजा सुनाई है। दोनों पर ही कोर्ट ने सात-सात हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वर्तमान में जेडयू शेख भोपाल में पदस्थ थे। न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद जेडयू शेख व रीडर राठौर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और इन्हें जेल भेज दिया गया है। अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी हजारीलाल बैरवा ने की।
यह सजा सुनाई गई
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम शिवपुरी के प्र.क्र. 1/2017 में आरोपी जेड यू् शेख अपर कलेक्टर शिवपुरी को धारा 7 में 4 साल सश्रम कारावास और 7000 रुपए जुर्माना तथा धारा 13 1बी 13 (2) सहपठित 120बी भादवि में 5 साल सश्रम कारवास 7000 रुपये का जुर्माना व आरोपी रामगोपाल राठौर रीडर खनिज शाखा को भ्रनिअधि की धारा 7 मे 4 साल का सश्रम कारवास 7000 रुपये का जुर्माना तथा धारा 13(1)डी13(2) मे 5 साल सश्रम कारावास और 7000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई है।
यह था मामला
अभियोजन के अनुसार खनिज व्यवसाई दिवाकर अग्रवाल ने शिवपुरी कलेक्ट्रेट में एक खदान की लीज के लिए आवेदन किया था। इसके लिए खनिज सेक्शन के क्लर्क गोपाल राठौर ने रिश्वत मांगी थी, दिवाकर को बताया गया था कि इसके लिए जेडयू शेख को भी हिस्सा देना होगा। गोपाल ने दिवाकर की बात भी जेडयू शेख से करा दी। इधर दिवाकर ने मामले की शिकायत लोकायुक्त को कर दी। शिकायत की पुष्टिï के लिए लोकायुक्त की टीम ने दिवाकर, शेख और क्लर्क की टेलीफोनिक बातचीत रिकार्ड कराई। शिकायत सच पाई गई तो लोकायुक्त टीम ने रणनीति बना कर रिश्वत की पहली किस्त 15 हजार रुपए के केमिकल युक्त नोट दिवाकर के जरिए जेडयू शेख को भेजे। जैसे ही रकम ली गई तो इशारा पाकर लोकायुक्त टीम ने उन्हें पकड़ कर मामला दर्ज कर लिया। क्लर्क गोपाल को भी हिरासत में ले लिया गया। दिवाकर अग्रवाल से तीन बार मोबाइल पर बातचीत में क्लर्क रामगोपाल राठौर ने रिश्वत मांगी। इसमें सौदेबाजी भी हुई। लोकायुक्त पुलिस के अनुसार क्लर्क राम गोपाल राठौर ने खदान संचालक दिवाकर अग्रवाल से कुल 20 हजार रुपए की मांग की थी। इसमें से 10 हजार रुपए एडीएम को दिए गए 5 हजार राठौर ने रख लिए और शेष 5 हजार ऑफिस के अन्य स्टाफ में बांटने के लिए बोल दिया था। वर्ष 2015 में लोकायुक्त पुलिस ने छापामार कार्रवाई के दौरान कलेक्टर कार्यालय में एडीएम जेडयू शेख और रीडर खनिज शाखा रामगोपाल को गिरफ्तार किया था। यह केस विशेष सत्र न्यायाधीश शिवपुरी राधाकिशन मालवीय के कोर्ट में विचारण में था जिसमें शुक्रवार को सजा सुनाई गई है।
पकड़े जाने पर बोला था शेख किसी ने दराज में रख दिया होगा लिफाफा
1988 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जेडयू शेख को 5 साल पहले आईएएस अवार्ड होने वाला था। शिवपुरी जेडयू शेख का अवार्ड के लिए प्रस्तावित था। जिस समय उन्हें रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था उस समय सीनियर अफसर का वेतनमान उन्हें मिल रहा था, लेकिन आईएएस अवार्ड मिलने से पहले ही शेख पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हो गया। नोटों से भरे लिफाफे के साथ पकड़े जाने के बाद जेड यू शेख ने बोला था कि यह लिफाफा किसी ने उनकी दराज में रख दिया है उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नही है।
लोकायुक्त कार्रवाई का किया था विरोध
इस मामले में अधिकारियों के संगठन ने लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई पर विरोध भी जताया था और शेख ने भी खुद को पाक साफ बताते हुए प्रेसनोट जारी किया था। लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी शिवपुरी में की गई थी, शेख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर दावा किया था कि लोकायुक्त पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं है। माफिया के दबाव में उनके विरुद्ध प्रकरण बनाया गया है। जिस समय लोकायुक्त पुलिस कार्रवाई कर रही थी उस समय कुछ लोगों ने संगठित अंदाज में एकत्रित होकर की जा रही कार्रवाई का दबी जुबान से विरोध भी किया था। लेकिन अब मामला प्रमाणित पाए जाने पर तत्कालीन एडीएम शेख और रीडर को न्यायालय से जेल भेज दिया गया है।