भोपाल डेस्क रिपोर्ट–मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल गुरुवार को भी जारी रहेगी। बुधवार को संघ के पदाधिकारियों को अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन ने बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। अब गुरुवार दोपहर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के हस्तक्षेप के बाद कुछ समाधान निकलने की उम्मीद की जा रही है।
Strike: बुधवार से मध्य प्रदेश के परिवहन कार्यालयों में तालाबंदी, समस्याओं को लेकर उठाया कदम
अपनी समस्याओं को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने बुधवार से पूरे प्रदेश में अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था। उनकी हङताल का तात्कालिक कारण टीकमगढ़ के आरटीओ ,एक परिवहन उपायुक्त और एक पूर्व परिवहन अधिकारी के ऊपर बिना किसी जांच के आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का विरोध था। अधिकारियों का कहना था अधिकारियों द्वारा शासन के आदेश एवं अधिनियम और नियमों को दरकिनार करते हुए विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर लगातार आपराधिक प्रकरण दर्ज हो रहे हैं जबकि सरकार का साफ नियम है कि बिना अपराध की जांच के किसी लोकसेवक पर प्रकरण दर्ज नहीं हो सकता है। मध्यप्रदेश कराधान अधिनियम में भी यह प्रबंध किया गया है कि सद्भावना पूर्व किए गए कार्य के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य अर्ध न्यायिक प्रकृति के होते हैं और इसलिए उन्हें न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम 1985 के तहत संरक्षण दिया जाना चाहिए लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया है। इन सब की अवहेलना करते हुए दो दिन पहले ही जिला परिवहन अधिकारी टीकमगढ़ सहित रायसेन व एक सेवानिवृत्त उप परिवहन आयुक्त के खिलाफ अधिनियम और शासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए एफ आई आर दर्ज की गई है जिसका संगठन पुरजोर विरोध करता है।
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हङताल का तत्कालीन कारण अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करना बताया गया है। इसके साथ-साथ यह भी कहा गया है कि कार्यालय स्टाफ की कमी के चलते अधिकारी और कर्मचारियों पर मानसिक दबाव रहता है। प्रवर्तन अमले को मुख्यालय में अटैच कर दिया जाता है जबकि यहां पर इनकी किसी प्रकार की पद संख्या नहीं है। कि इस तरह से किसी भी शासकीय सेवक के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करना न्यायसंगत नहीं है और इसकी बाकायदा जांच करके ही कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन लंबे समय से देखने में आ रहा है कि परिवहन विभाग के अधिकारियों के ऊपर इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। कहीं भी कोई दुर्घटना होती है और सीधे परिवहन अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाता है। यह भी न्याय संगत नहीं है क्योंकि जरूरी नहीं कि इसमें परिवहन विभाग की ही गलती हो। इसके साथ की हड़ताल के अन्य कारणों में इसके साथ-साथ परिवहन विभाग में आरक्षक से लेकर संभागीय परिवहन आयुक्त के पदों में अन्य विभागों की तुलना में काफी वेतन विसंगतियां हैं। लंबे समय से पदोन्नति पर रोक लगी हुई है और इसलिए पद नाम परिवर्तन करने की मांग की गई लेकिन इसे भी ठुकरा दिया गया है। कार्यालय स्टाफ को वर्दी की मांग भी आश्वासन देकर समाप्त कर दी गई और कर्मचारियों के लिए परिवहन उपनिरीक्षक की भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं की गई जिससे कई लोग उसी पद पर रिटायर हो गए।
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परिवहन विभाग के अधिकारियों को बुधवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन मिश्रा ने बातचीत के लिए वल्लभ में बुलाया था। लेकिन बातचीत बेनतीजा रही। गुरुवार को पदाधिकारी एक बार फिर अतिरिक्त मुख्य सचिव से मिलेंगे लेकिन इस बीच सारा मामला परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के संज्ञान में पहुंच चुका है। वह कोरोना संक्रमित होने के चलते स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं ।बावजूद इसके इस बात की पूरी उम्मीद है कि वह अधिकारी-कर्मचारियों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेंगे और समस्या का देर शाम तक कोई न कोई समाधान निकल आएगा।
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परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की हड़ताल का व्यापक असर पूरे मध्यप्रदेश में देखने को मिल रहा है। सभी परिवहन कार्यालयों में लाइसेंस बनाने या रिन्यू करने संबंधी काम तो ठप्प है ही है, साथ ही साथ टैक्स जमा करने की भी व्यवस्था पर विराम लग गया है जिससे शासन को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।विभाग का दर्द यह भी है कि इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण काल में, जब पूरे विश्व सहित देश और प्रदेश में मंदी छाई थी, परिवहन विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों ने विषम परिस्थितियों के बावजूद वित्तीय वर्ष का लक्ष्य पूरा कर सरकार का खजाना भरा है ।बावजूद इसके शासन उनकी लगातार अवहेलना कर रहा है,