आधे घंटे में बना देता था फर्जी आयुष्मान कार्ड, JAH के स्टाफ ने पकड़ा, 34 आयुष्मान कार्ड बरामद

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल समूह  अधिकारियों के हाथ एक ऐसा शातिर युवक महज आधे घंटे में फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर दे देता था और इसके बदले में लेता था 5000 रुपये।  जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक ने जब युवक की तलाशी ली तो इसके पास से 34 आयुष्मान कार्ड, लैपटॉप, थम्ब इम्प्रेशन मशीन भी बरामद हुई। अधीक्षक ने युवक को कंपू थाना पुलिस को सौंप दिया है।

फर्जीवाड़ा करने वाले अब आयुष्मान योजना में भी सेंध लगा चुके हैं। फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर ये लोग खुद तो कमाई कर रहे हैं लेकिन लाभार्थियों को इसका फायदा नहीं मिल रहा।  ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एक ऐस ही युवक पकड़ में आया जो महज आधे घंटे में आयुष्मान कार्ड बनाकर दे देता है। लेकिन ये आयुष्मान कार्ड असली नहीं फर्जी होता है।

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दरअसल पूरे फर्जीवाड़े खुलासा ऐसे हुआ कि जयारोग्य अस्पताल में भर्ती एक मरीज राजकुमार को आयुष्मान कार्ड की जरुरत थी।  उसने एप्लाई किया लेकिन उसका लिस्ट में  नाम नहीं था तो आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहा था।  इसी दौरान उसकी मुलाकात जयारोग्य अस्पताल में कृष्णा कुशवाह नामक युवक से हुई कृष्णा ने कहा कि मैं बनाकर दे दूंगा 5000 रुपये देना होंगे।

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मरीज को को कुछ शक हुआ तो उसने जयारोग्य अस्पताल के आयुष्मान योजना प्रभारी अपने मित्र योगेंद्र परमार को बताई।  चूँकि फर्जीवाड़े के सूचना पहले भी आ रही थी तो योगेंद्र परमार ने कृष्णा को अस्पताल बुलवा लिया और फिर योजनाबद्ध तरीके से उसे पकड़ लिया।

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आरोपी कृष्णा को जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ के केबिन में ले जाया गया वहां उसकी तलाशी ली गई तो उसके पास से 34 लैमिनेटेड आयुष्मान कार्ड मिले, एक लैपटॉप , थम्ब इम्प्रेशन मशीन भी मिली।  डॉ धाकड़ ने पुलिस को सूचना देकर बुलवाया और आरोपी युवक को पुलिस को सौंप दिया। बताया जा रहा है कि कृष्णा के गिरोह में एक और साथी भी है।  ये दोनों मिलकर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाते हैं। पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है।

आधे घंटे में बना देता था फर्जी आयुष्मान कार्ड, JAH के स्टाफ ने पकड़ा, 34 आयुष्मान कार्ड बरामद आधे घंटे में बना देता था फर्जी आयुष्मान कार्ड, JAH के स्टाफ ने पकड़ा, 34 आयुष्मान कार्ड बरामद

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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