Ratan Tata Instagram: इंस्टाग्राम पर सिर्फ एक शख्स को फॉलो करते हैं रतन टाटा, उद्योगपति से है खास कनेक्शन

Diksha Bhanupriy
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Ratan Tata Instagram

Ratan Tata Instagram: रतन टाटा बिजनेस इंडस्ट्री के साथ देश की ऐसी शख्सियत है जिनका नाम दुनिया भर में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने टाटा इंडस्ट्री को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। सोशल मीडिया पर उन्हें कई लोग फॉलो करते हैं लेकिन रतन बहुत ही कम लोगों को फॉलो करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल से सिर्फ एक व्यक्ति को फॉलो किया गया है। आज हम आपको उसी के बारे में जानकारी देते हैं।

रतन टाटा को इंस्टाग्राम पर 8.5 मिलियन और ट्विटर पर 12.4 मिलियन लोग फॉलो करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बिजनेसमैन ट्विटर पर सिर्फ 27 और इंस्टाग्राम पर सिर्फ एक ही प्रोफाइल को फॉलो करते हैं।

यहां जानें Ratan Tata Instagram

रतन टाटा इंस्टाग्राम पर जिस एक प्रोफाइल को फॉलो करते हैं वह उन्हीं की धर्मार्थ संगठन टाटा ट्रस्ट है। 1919 में स्थापित की गई इस ट्रस्ट का स्वामित्व उन्हीं के पास है और यह लोगों की मदद करने वाले सबसे पुराने फाउंडेशन में से एक है।

 

 

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1892 में इस टाटा ट्रस्ट का गठन किया था ताकि कल्याणकारी कामों में कभी भी पैसों की कमी ना आए। टाटा ग्रुप की जितनी भी कंपनियां है उनके मेन निवेशक टाटा संस है और सभी की 66 फ़ीसदी हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के अंडर में है। इसी हिस्सेदारी में से डिविडेंड ट्रस्ट के पास पहुंचता है ताकि परोपकार करने में किसी भी तरह से धन का अभाव ना रहे।

चल रहे हैं ये फाउंडेशन

सिर्फ टाटा ट्रस्ट ही नहीं बल्कि जेएन टाटा एंडोमेंट, सर रतन टाटा ट्रस्ट, लेडी मेहरबाई डी टाटा एजुकेशन ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, लेडी टाटा मेमोरियल ट्रस्ट, जेआरडी और खेलना जे टाटा ट्रस्ट जैसे कई फाउंडेशन टाटा ट्रस्ट के संरक्षण में चलाए जा रहे हैं।

देश के आजादी से बहुत पहले ही टाटा ट्रस्ट ने परोपकार के बारे में सोचना शुरू कर दिया था और जमशेदजी टाटा 1898 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस का खाका खींच चुके थे। जिसका उद्देश्य स्टूडेंट्स के लिए विज्ञान की अत्याधुनिक शिक्षा की व्यवस्था करना था।

जमशेद जी ने दी थी आधी संपत्ति

टाटा ट्रस्ट के लिए जमशेद जी ने अपनी निजी संपत्ति आदि दान कर दी थी जिसमें मुंबई की 14 बिल्डिंग और लैंड प्रॉपर्टी शामिल थी। मैसूर के राजा भी उनके इस परोपकार में जुड़े थे और बंगलुरु में मौजूद 300 एकड़ जमीन दान दे दी थी।

इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस 1911 में बनकर तैयार हुआ। जिसमें डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा, विश्वेसररैया, सीवी रमन जैसे दिग्गज जुड़े। समय यह इंस्टिट्यूट स्थापित हुआ उस समय इंग्लैंड में भी इस तरह का कोई संस्थान नहीं था और सीवी रमन ने इस संस्थान में काम करने के दौरान 1930 में नोबेल पुरस्कार हासिल किया था। जो इस बात का प्रमाण है कि वहां पर इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाती होगी।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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