नई दिल्ली ,डेस्क रिपोर्ट। वर्तमान में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर अपने बयानों के लिए सुर्खियों में है । दरअसल, भारतीय बैंक संघ ( IBA) के 17वें संस्करण के सम्मेलन समारोह के दौरान उन्होंने क्रिप्टो करेंसी को लेकर एक बड़ा बयान दिया । उन्होंने कहा कि “क्रिप्टोकरेंसी” किसी पोंजी स्कीम से भी ज्यादा बुरा हो सकता है इसलिए भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना ही सही होगा ।
Cryptocurrencies – An assessment – Keynote address delivered by Shri T Rabi Sankar, Deputy Governor, Reserve Bank of India – February 14th, 2022 – at the Indian Banks Association 17th Annual Banking Technology Conference and Awardshttps://t.co/Hwqu7OYlb7
— ReserveBankOfIndia (@RBI) February 14, 2022
बीते दिनों टी रविशंकर ने कहा कि, ” क्रिप्टो करेंसी एक मुद्रा है , ऐसी संपत्ति कमोडिटी के रूप में परिभाषा के लिए उत्तरदाई नहीं है इसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता है, वे पोंजी योजनाओं के समान है या फिर इससे भी बदतर हो सकते हैं।”
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दरअसल, डिप्टी गवर्नर ने पोंजी स्कीम से क्रिप्टो करेंसी की तुलना की है । बता दें कि पोंजी योजना ( ponzi स्कीम ) धोखाधड़ी का एक रूप है , जो निवेशक को अपनी ओर आकर्षित करती है और नए निवेशकों के धन के साथ पुराने निवेशकों को लाभ देती है । अक्सर इसकी कोई व्यक्तित कमाई नहीं होती। उनका कहना है कि “हमने देखा है कि क्रिप्टो टेक्नोलॉजी सरकारी नियंत्रण से बचने के लिए एक फिलॉसफी को अपना आधार बनाती है । क्रिप्टो करेंसी को विशेष रूप से भी नियमित वित्तीय प्रणाली को बाईपास करने के लिए बनाया गया है , इसलिए सावधानी बरतने के लिए यह कारण ही काफी है।”
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आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से दूर रखना एक सही विकल्प है। वह वित्तीय अखंडता खासकर की केवाईसी , एएमएल / सीएफटी नियमों को खोखला करते हैं , जो मुद्रा प्रणाली और बैंकिंग प्रणाली को खराब ही कर सकती है । बता दे की , बजट 2022-23 में वितमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपए को भारत में लॉन्च करने का निर्णय लिया है।