UGC IKS Guideline, Phd Admission : यूजीसी द्वारा बड़ी तैयारी की गई है। इसके तहत इंडियन नॉलेज सिस्टम के फैकेल्टी मेंबर को अब ट्रेनिंग का लाभ दिया जाएगा। जिसके लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है। उच्च शिक्षा नियामक द्वारा “ट्रेनिंग ऑफ इंडियन नॉलेज सिस्टम” नामक ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी किया गया है , वहीं लोगों से 28 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं।
क्या है इंडियन नॉलेज सिस्टम
इंडियन नॉलेज सिस्टम के तहत फैकेल्टी एस्ट्रोनॉमी, वैदिक मैथमेटिक्स, भारतीय आर्थिक इतिहास, महाभारत, अर्थशास्त्र सहित भारतीय प्राचीन और मध्यकालीन में रसायन विज्ञान, धातु विज्ञान और आयुर्वेद सहित कई क्षेत्रों के पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकते हैं।
यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार का कहना है कि गाइडलाइन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार जारी की गई है। शिक्षा के हर स्तर पर इंडियन नॉलेज सिस्टम को शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है। फैकल्टी सदस्य द्वारा इंडियन नॉलेज सिस्टम के बारे में गाइडलाइन के रोडमैप तैयार किए गए हैं। भारतीय युवाओं को भारत के पारंपरिक ज्ञान के विशाल भंडार के बारे में जानकारी दी जाएगी और आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति और प्रौद्योगिकी में इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
ड्राफ्ट के गाइडलाइन के तहत इंडियन नॉलेज सिस्टम ट्रेनिंग मौजूदा फैकेल्टी रिफ्रेशर और इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत जारी किया गया। यूजीसी की करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों के लिए इंडक्शन प्रोग्राम और फैकल्टी के लिए रिफ्रेशर पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
IKS गाइडलाइन के फायदे
IKS के तहत भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम मॉडल में केरल खगोल विद द्वारा कल्याण की खोज, वेदांग ज्योतिष और मापने का समय और कैलेंडर सहित नक्षत्र ज्ञान और कृषि सहित हड़प्पा और गुजरात की जल प्रबंधन प्रणाली आदि के विषय में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा रसायन विज्ञान, धातु विज्ञान, अर्थशास्त्र सोना चांदी सहित अन्य धातु विज्ञान पर भी छात्रों को वर्णन का लाभ मिलेगा।
पीएचडी प्रवेश के लिए नियम में बदलाव
इससे पहले पीएचडी में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण सूचना दी गई है। पीएचडी में यदि उम्मीदवार प्रवेश लेना चाहते हैं तो हाल ही में जारी नए स्नातक करिकुलम के साथ 1 वर्ष का मास्टर करने के बाद उम्मीदवार पीएचडी में प्रवेश की पात्रता रखेंगे।
वहीं इस मामले में यूजीसी चेयरमैन जगदीश कुमार की माने तो अब छात्र 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएशन कोर्स पूरा करने के बाद सीधे पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे यानी अब पीएचडी के लिए मास्टर की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि ऐसे छात्र जो 3 वर्षीय ग्रेजुएशन करेंगे, उन्हें पीएचडी के लिए मास्टर डिग्री करना अनिवार्य होगा।
बता दें कि इससे पहले नया करिकुलम जारी किया गया। जिसके तहत छात्रों को 3 वर्ष की डिग्री पूरी करने के बाद ग्रेजुएशन और 4 वर्ष की डिग्री पूरी करने के बाद और उसके डिग्री प्रदान की जाएगी।