बिना मास्क के घूमने वालों पर सख्त हुआ प्रशासन, शुरु की चालानी कार्रवाई

Gaurav Sharma
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administration taken action against people with mask

होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। शारदीय नवरात्र और आगामी त्योहार दशहरा, दीपावली को देखते हुए प्रशासन ने कमर कस ली है। इटारसी में कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है और प्रशासन और शासन ने सातों दिन दुकाने और बाजार खुला रखने की अनुमति दे दी है। दुकाने खुलने को लेकर बाजार क्षेत्र में भीड़ बढ़ी है। लोग बिना मास्क के बाजार और शहर में घूम रहे है, इसे गम्भीरता से लेते हुए प्रशासन अब रोजाना बाजार में जांच अभियान एवं चालानी कार्रवाई कर रहा है।

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वहीं खुद अनुविभागीय अधिकारी एमएस रघुवंशी रोजाना 3 घंटे बाजार क्षेत्र में घूमकर लोगों को समझाइश दे रहे है। नगर प्रशासन, नगर पालिका, पुलिस विभाग के लगभग 100 से ज्यादा कर्मचारी,अधिकारीगण नायब तहसीलदार पूनम साहू तथा विनय ठाकुर,तहसीलदार तृप्ति पटेरिया,मुख्यानगरपालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले ने आज लगभग 250 चालान काटे तथा लोगों को मास्क वितरित कर हमेशा मास्क पहनने का अनुरोध किया।

इनका कहना है

वहीं इस पूरे मामले पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मदन सिंह रघुवंशी ने बताया कि बाजार क्षेत्र में अब ज्यादा भीड़ होगी क्योंकि सभी त्योहार आर हे है और नवरात्रि प्रारंभ शुरु हो गई है। त्योहारी मौसम में लोग घरों से निकल रहे है और घूमने के लिए तो उनकी सुरक्षा के उद्देश्य से मास्क वितरण और समझाइश तथा बिना मास्क के घूमने वालो पर चालानी कार्रवाई की जा रही है, जो निरंतर जारी रहेगी


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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