भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।CM RISE SCHOOL: मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा सीएम राइज योजना अन्तर्गत चयनित विद्यालयों के शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है।मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्थानांतरण एवं पदस्थापना आदेश पर रोक लगा दी।बता दे कि नए सत्र से राज्य सरकार की विभिन्न जिलों में सीएम राईस स्कूल खोलने की तैयारी है।वही आयुक्त को जल्द समाधान करने के आदेश दिए है।
यह भी पढे.. हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, छुट्टी-वेतन सहित अन्य लाभ देने का आदेश
दरअसल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल घगट ने आज प्रीति तिवारी, राजेंद्र कुमार, मेहरा राकेश तिवारी एवं अन्य 10 याचिकाओं पर सुनवाई की और इन शिक्षकों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना आदेश पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता सत्येंद्र ज्योतिषी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सीएम राइस स्कूल में शिक्षकों की पदस्थापना एवं उनका स्थानांतरण नियम विरुद्ध तरीके से किया गया है, जारी लिस्ट में उक्त शिक्षक जो नरसिंहपुर ,सिवनी, भोपाल, दमोह और पन्ना एवं अन्य जिले में कार्यरत हैं, उन्हें उनकी चॉइस के आधार पर स्कूल ना देकर नियम के विरुद्ध जाकर अन्य जगह पर पदस्थापना दी गई थी।
अधिवक्ता सत्येंद्र ज्योतिषी ने अपना पक्ष रखते हुए आगे कहा कि जबकी सीएम राइस स्कूल के चयन प्रक्रिया के जो नियम थे, उसमें स्पष्ट प्रावधान था कि च्वाइस फिलिंग के आधार पर ही शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी बावजूद इसके विभाग द्वारा शिक्षकों को जिले के दूसरे स्कूल या जिले के बाहर उनकी पदस्थापना कर स्थानांतरण किया जा रहा है।उक्त याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने आयुक्त लोक शिक्षण संचनालय एवं अन्य अधिकारियों को आवेदक के द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन का विधि के अनुसार निराकरण करने का आदेश पारित किया है एवं उनके स्थानांतरण एवं पदस्थापना आदेश पर आगामी तिथि तक रोक लगा दी है।
AIIMS में नौकरी पाने का आखरी मौका, 194 पदों पर निकली है भर्ती, जल्द करें अप्लाई
बता दे कि बीते दिनों लोक शिक्षण संचालनालय ने एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि अगर नियुक्ति को लेकर कोई आपत्ति है तो हाईकोर्ट जाने से पहले लोक शिक्षण संचालनालय को सूचित करें। इसके लिए समस्त शिक्षक,प्राचार्य और कर्मचारी तत्संबंध में अपनी आपत्ति 7 दिन में आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय को प्रस्तुत कर सकते है।वही कहा गया था कि राज्य शासन के उक्त आदेश के विरूद्ध विभिन्न शासकीय लोक सेवकों द्वारा माननीय न्यायालय में वाद दायर होने की स्थिति में राज्य शासन स्कूल शिक्षा विभाग, लोक और शिक्षण संचालनालय म.प्र. पक्ष को सुनवाई के पश्चात ही अंतरिम आदेश पर निर्णय लिया जाए।