भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में सरकार (MP Government) की शुरू की गई योजना Dial 100 फिर से विवादों में आ गई है। दरअसल 632 करोड़ रूपए के टेंडर (Tender) को लेकर एक बार फिर से विवाद की स्थिति ने जन्म लिया है। विधानसभा (MP Assembly) में प्रस्तुत कैग के रिपोर्ट चौंकाने वाले हैं। CAG ने अपनी रिपोर्ट (CAG Report) में कहा है कि घरेलू हिंसा जैसी घटनाओं में फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल Dial 100 टीम 12 घंटे की देरी से मौके पर पहुंची।
बता दे कि मध्यप्रदेश में त्वरित सर्विस और पुलिस सहायता उपलब्ध कराने के लिए 2015 में सेवा को शुरू किया गया था। वहीं विधानसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सीएजी ने कहा कि 4 साल में ढाई लाख मामलों में डायल हंड्रेड मौके पर बेहद देरी से पहुंचा है। इसके अलावा विधानसभा में प्रस्तुत भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन में कहा गया कि 2015 में आमंत्रित टेंडर में मैसेज पीडब्ल्यूडी प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया गया था।
तकनीकी मूल्यांकन के आधार पर इसे चयन से बाहर किया गया था। वही योजना की निगरानी पुलिस महानिदेशक स्तर पर गड़बड़ी की बात सामने आई थी इसके बाद से एक बार फिर से टेंडर का मामला घर आ गया है। CAG की रिपोर्ट में साफ किया गया है टेंडर में बदलाव कर दूसरे पार्टी को अनुचित लाभ पहुँचाया गया है। वही Dial 100 परियोजना के 632 करोड़ के टेंडर की प्रक्रिया हमेशा से विवादों में रही है।
EXIM Bank Recruitment 2022: 14 मार्च है आवेदन करने की अंतिम तिथि, जाने EXIM परीक्षा पैटर्न..
इतना ही नहीं किसने कहा कि यह सारी प्रक्रिया हमेशा से दोषपूर्ण रही और इसमें दूसरे बोलीदार को निश्चित रूप से फायदा पहुंचाया गया है। राज्य शासन ने तर्क दिया था कि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने अपनी सूझबूझ से इस मामले में एक करोड़ 19 लाख रुपए की बचत की थी। जिसे CAG द्वारा नकार दिया गया है। वही Dial 100 को लेकर रिपोर्ट में हुए खुलासे में बताया गया है कि 2016 से 19 तक के प्राप्त हुए आंकड़ों के मुताबिक 3 मिनट के भीतर सहायता प्रदान करने के मामले महज 22% रहे हैं।
वहीं डायल हंड्रेड 75 फीसद मामलों में 60 मिनट का समय लेकर घटनास्थल पर पहुंची है। इसकी रफ्तार 12 घंटे से अधिक रही है। इतना ही रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि Dial 100 में कई करोड़ कॉल आए हैं। जिनमें से सिर्फ 20 लाख पर ही कार्रवाई हुई है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि 80 लाख कॉल अनुपयोगी थे।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2016 से 19 के बीच आपातकालीन कॉल पर प्रतिक्रिया समय में कोई सुधार नहीं हुआ है। वहीं इस सेवा का उसे दिलाओ भी नजर नहीं आता है। इस व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। साथ ही CAG ने कहा कि इस व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार द्वारा सालाना ₹104 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। बावजूद इसके अब तक इसकी निगरानी ठीक नहीं हुई है डायल हंड्रेड की खामियों को तत्काल ठीक करना चाहिए।