शासकीय कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, फिर बढ़ेगी रिटायरमेंट उम्र, सवैतनिक अवकाश सहित अन्य सुविधाओं का मिलेगा लाभ!

Kashish Trivedi
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में एक तरफ जहां कर्मचारी-प्रोफेसर-प्राचार्य की सेवानिवृत्ति आयु (Employees Retirement age) बढ़ाए जाने की मांग तेज हो गई है। वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर से महाविद्यालय के प्राचार्य कि सेवानिवृत्ति आयु में 3 वर्ष की वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष एम् जगदीश कुमार से अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने विस्तृत वार्ता की है। साथ ही उन्होंने कॉलेज में कार्यरत ऑफिसर के लिए पीएचडी (Phd) में छूट देने की भी मांग की है।

यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के साथ अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई। जिसमें यूजीसी रेगुलेशन 2018 को पूरे देश भर में एक समान लागू करने, सेवारत शिक्षकों को पीएचडी प्रवेश पात्रता परीक्षा में छूट देने और पीएचडी कोर्स वर्क के लिए सवैतनिक अवकाश देने संबंधित कई तरह की मांग की गई। इसके अलावा कॉलेज प्राचार्य की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने सहित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष से वार्ता की गई है।

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साथ ही महाविद्यालय प्राचार्य की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाई जा सकती है। यूजीसी रेगुलेशन 2010 की प्रयोज्यता को 3 वर्ष और बढ़ाए जाने की मांग की गई है। उच्च शिक्षण संस्थानों के अन्य अकादमी के स्टाफ की सेवा शर्त और सेवानिवृत्ति आयु शिक्षक को समान किया जा सकता है। इस संबंध में जानकारी देते महासंघ के अध्यक्ष प्रोफेसर जे पी सिंघल ने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन 2018 को देश भर में एक समान लागू करने सहित विसंगति निवारण समिति की रिपोर्ट को लागू करने की सिफारिश की गई है।

साथ ही महाविद्यालय प्राचार्य की सेवानिवृत्ति आयु को 3 वर्ष बढ़ाए जाने सहित एसिंक्रोनस मोड पर ऑनलाइन व्यवस्था करने, यूजीसी की सूची के जर्नल्स को हर साल जारी करने और महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति करने सहित कई मांगों पर शिक्षकों का पक्ष विस्तार से रखा गया है।

जिसपर यूजीसी प्रमुख ने प्रत्येक विषय को गंभीरता से समझा है। वही उनकी तरफ से विश्वास दिलाया गया है कि शीघ्र ही आयोग द्वारा सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। विसंगति निवारण समिति की सिफारिश पर कार्रवाई की जा रही है। शीघ्र ही शिक्षक हित में बड़े परिणाम देखने को मिल सकते हैं।


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