राज्य के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, मिलेगा इन अवकाशों का लाभ, कैबिनेट की मंजूरी, ये रहेंगे नियम

Pooja Khodani
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Single Parent Male Employee : हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने सिंगल पैरेंट पुरुष कर्मचारियों को लेकर अहम फैसला किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में हरियाणा सिविल सेवा (लीव) नियमावली 2016 में संशोधन के संबंध में एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की, जिसके तहत एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी को भी 2 वर्ष का चाइल्ड केयर लीव भी अब मंजूर होगी।

इस फैसले के बाद अब एक सरकारी कर्मचारी सिंगल पुरुष और एक महिला सरकारी कर्मचारी बच्चों के देखभाल के लिए पूरी सेवा के दौरान अधिकतम 2 वर्ष (730 दिन) की अवधि के लिए चाइल्ड केयर लीव का लाभ ले सकेंगे।  संशोधन के अनुसार, एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी और महिला सरकारी कर्मचारी 18 वर्ष की आयु तक की अपनी दो संतानों की देखभाल के लिए संपूर्ण सेवाकाल के दौरान अधिकतम 2 साल की अवधि के लिए लीव का लाभ उठा सकते हैं।  ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।

ये रहेंगे नियम

  • नियम 46, उप-नियम (1) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम-चाइल्ड केयर लीव केवल 18 वर्ष की आयु तक के अपने दो बड़े जीवित बालकों (संतानों) की देखभाल के लिए संपूर्ण सेवाकाल के दौरान अधिकतम दो साल की अवधि के लिए स्वीकार्य होगा।
  • इस 730 दिनों की अवधि में एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी द्वारा आवेदन प्रस्तुत करने से पूर्व किसी राज्य सरकार या भारत सरकार के अधीन काम करने के दौरान महिला सरकारी कर्मचारी द्वारा उन्हीं दो बड़े बालकों की माता के रूप में ली गई चाइल्ड केयर लीव, यदि कोई हो, शामिल है, प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  • 18 वर्ष से कम आयु की शर्त दिव्यांग बालकों पर लागू नहीं होगी, यदि सक्षम चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए अशक्तता प्रमाण पत्र के अनुसार अशक्तता 60 प्रतिशत से अधिक है और दिव्यांग बच्चा पूरी तरह से महिला या एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी पर निर्भर है।

महिलाओं के साथ अब पुरुष कर्मचारियों को भी लाभ

बता दे कि इससे पहले तक राज्य में केवल महिला कर्मचारियों को ही चाइल्ड केयर लीव दी जाती थी, लेकिन अब ऐसे पुरुष कर्मचारियों को भी 2 साल चाइल्ड केयर लीव का अधिकार प्राप्त होगा, जिनकी पत्नी जीवित नहीं है अथवा वैधानिक रूप से बच्चों की कस्टडी पिता को देकर अलग हो गई है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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