आखिर किसकी ओर है उमा भारती का इशारा, किसने किया उनके अभियान को कमजोर करने का प्रयास

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पहले शराबबंदी और उसके बाद ब्यूरोक्रेसी को लेकर दिए गए अपने बयानों से पिछले तीन दिनों से मीडिया की सुर्खियों में बनी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (uma bharti) ने एक बार फिर ट्विटर वॉर किया है। उन्होंने लिखा है कि उनको इस बात की आशंका थी कि शराबबंदी के अभियान की शक्ति को कम करने के लिए कुछ घट सकता है और ऐसा ही हुआ।

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18 सितंबर को अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमा भारती ने घोषणा की थी कि 15 जनवरी 2022 के बाद वह शराबबंदी के अभियान में लट्ठ लेकर मैदान में उतरेंगी। उनका यह बयान अभी चर्चाओं में ही था कि 20 सितंबर को उमा भारती का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वे यह कहते नजर आ रही थी कि ब्यूरोक्रेसी की औकात ही क्या है! ब्यूरोक्रेसी तो हमारी चप्पल उठाती है। हालांकि इस बयान को लेकर बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि उनका भाव ऐसा नहीं था और उन्हें असंयत भाषा का प्रयोग नहीं करना था। लेकिन एक बार फिर उमा भारती ने ट्वीट किया है और लिखा है कि उन्हें इस बात की पूरी आशंका थी कि शराबबंदी अभियान की घोषणा के बाद में इस मुद्दे की शक्ति कम करने के लिए कुछ घट सकता है और मेरी आशंका सच्चाई में बदल गई। उन्होंने आगे लिखा है कि ब्यूरोक्रेसी पर दिए गए मेरे बयान पर मीडिया ने कोई तोड़ मरोड़ नहीं किया लेकिन उस बयान को प्रभावी रूप से मीडिया तक पहुंचाने के लिए 20 तारीख ही चुनी गई।

उमा भारती ने आगे लिखा है कि मैं मध्यप्रदेश में शराबबंदी के अपने परम लक्ष्य लोगों का ध्यान हटने ही नहीं दूंगी इसीलिए मैंने असंयत भाषा के प्रयोग को ज्यों का त्यों स्वीकार करते हुए अपना रंज व्यक्त किया। इस पूरे मामले में उमा भारती किसकी ओर इशारा कर रही हैं यह समझ से परे है। लेकिन साफ तौर उन्होंने यह बताने की कोशिश तो की है कि उनके तीन दिन पुराने बयान को जानबूझकर वायरल किया गया ताकि शराबबंदी के मुद्दे को नेपथ्य में डाला जा सके।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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