भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। संगठन और उपचुनाव (By-election) में युवाओं को आगे करने वाली BJP अब नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Election) में यह दांव एक बार फिर खेलने जा रही है। खबर है कि बीजेपी इस बार निकाय चुनावों में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका देने और नए चेहरों पर दांव लगाने का मास्टर प्लान बनाया है।इसके लिए मंडल अध्यक्ष की तरह पार्षद उम्मीदवारों के लिए 35 से 40 साल का क्राइटेरिया हो सकता है । प्रदेश भाजपा (MP BJP) ने सभी जिलों में अपने संगठन पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दे दी है। अगर ऐसा होता है तो कई बीजेपी के दिग्गज इस क्राईटेरिया से बाहर होंगे।
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दरअसल, दो दिन पहले निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा (State BJP President VD Sharma) की अध्यक्षता में बीजेपी चुनाव संचालन समिति (BJP Election Steering Committee) की पहली बैठक हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan), संगठन महामंत्री सुहास भगत, सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा, समिति के संयोजक उमाशंकर गुप्ता शामिल हुए थे। इस दौरान संभाग स्तर पर उम्मीदवार चयन की बात कही गई वही पार्षद उम्मीदवारों की उम्र को लेकर भी चर्चा हुई थी।
सुत्रों की मानें तो बैठक में युवाओं (Youth) को ज्यादा से ज्यादा आगे लाने की तैयारी है। इसके लिए उम्र सीमा भी तय की जाएगी, ताकी टिकट को लेकर विवाद ना हो। अक्सर देखने को मिलता है कि चुनाव के दौरान दावेदारों में एक अनार सौ बीमार जैसे स्थिति पनप जाती है। हाल ही में उपचुनाव के दौरान भी कई ऐसे घटनाक्रम सामने आए। इसी के चलते पार्टी 30 से 45 साल के नए चेहरों को आगे लाकर अगले दो दशक का नेतृत्व करने चाहती है।इसके तहत प्रदेश भाजपा ने सभी जिलों में अपने संगठन पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दे दी है।
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वही साफ छवि और सक्रिय कार्यकर्ताओं को चिन्हित कर उन्हें आगे लाने के निर्देश भी दिए गए हैं। वार्डों में ज्यादा से ज्यादा नए उम्मीदवारों को टिकट देने की रणनीति बनाई गई है। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पांचों प्रदेश महामंत्रियों को दी है, जो हर जिले में मंडल स्तर से फीडबैक (Feedback) ले रहे हैं, इसमें जातिगत समीकरणों पर भी फोकस किया जा रहा है।इससे पहले मंडल अध्यक्षों का चुनाव लड़ने के लिए आयु सीमा 35 से 40 वर्ष निर्धारित कर दी गई थी, अब यही फॉर्मूला बीजेपी निकाय चुनाव में लागू करने जा रही है, इसे 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है।
कई दावेदार होंगे बाहर, जातिगत समीकरण पर फोकस
अगर ऐसा होता है तो उम्र की वजह से कई जिलों में दावेदार पार्षद की दौड़ से बाहर हो जाएंगे।वही कई जिले ऐसे भी है जहां भाजपा के पास नेताओं का टोटा है, ऐसे में इन जिलों में 50 पार के नेता को भी मौका मिल सकता है।उम्मीदवार चयन में जातिगत समीकरण का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। चुंकी इसका चुनाव में खासा प्रभाव देखा जाता है।हालांकि कई सीटें वर्ग विशेष के लिए ही निर्धारित है, ऐसे में बीजेपी दांव खेलने से नहीं चूकेगी।
मार्च में लागू हो सकती है आचार संहिता
बता दे कि प्रदेश में 16 नगर निगम, 98 नगरपालिका और 294 नगर परिषद (Municipal council, Municipality And City Council Election) के चुनाव प्रस्तावित हैं। हाल ही में राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने साफ कर दिया था कि चुनाव की तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। 3 मार्च तक मतदाता सूची का काम पूरा हो जाएगा, इसके बाद कभी भी तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। संभावना है कि मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता (Code Of Conduct) लागू हो जाएगी। यही कारण है कि बीजेपी और अन्य राजनैतिक पार्टियां अपनी अपनी रणनीतियों के तहत काम कर रही है।