भोपाल| लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने कमर कस ली है| पार्टी छत्तीसगढ़ में सभी मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका देने जा रही है| हालाँकि अभी सूची जारी नहीं की गई है| अगर इस फॉर्मूले को अमल में लाया जाता है तो मध्य प्रदेश में सियासी भूचाल आ सकता है| क्यूंकि मध्य प्रदेश में भी बीजेपी की छत्तीसगढ़ जैसी स्तिथि है, यहां भी 15 साल की सत्ता चली गई और लगभग हर सांसद का विरोध है, यह विरोध न सिर्फ जनता का बल्कि कुछ सांसदों का तो भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय बड़े नेताओं ने भी विरोध किया है| इस फॉर्मूले को लेकर प्रदेश में भी हड़कंप की स्तिथि है और टिकट कटने के संकेत के चलते कुछ ने भोपाल से दिल्ली तक की दौड़ तेज कर दी है|
दरअसल, सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा में बड़े पैमाने पर नेता अब खाली हैं क्यूंकि सरकार रहते सभी नेता किसी न किसी पद प्रतिनिधित्व कर रहे थे और सत्ता की ताकत का लाभ उठा रहे थे| अब यह नेता लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा कर पावर में बने रहना चाहते हैं| जिसके चलते बीजेपी में दावेदारों की संख्या बढ़ गई है| इसमें विधानसभा चुनाव हारे हुए नेता और विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं निकाल पाने वाले नेता शामिल हो गए हैं| जो हर हाल में इस बार टिकट चाहते हैं| इनकी दावेदारी भी सांसदों पर ख़तरा बनी हुई है| दूसरी बड़ी बात सांसदों का रिपोर्ट कार्ड है, अब तक जो भी सर्वे और फीडबैक सामने आये हैं उनमे एक दर्जन से अधिक सांसदों के टिकट कटने तय माने जा रहे हैं|
आधे सांसदों के टिकट कटना तय
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में टिकट वितरण में छत्तीसगढ़ फॉर्मूले पर अमल हुआ तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कई ऐसे सांसदों के टिकट काट सकता है, जो पैनल में नाम आने के बाद प्रचार में जुट गए हैं| उम्मीदवारों की पहली सूची में इसका असर हो सकता है| भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में लोकसभा क्षेत्रवार जो पैनल तैयार हुए हैं, उसमे सभी 23 सांसदों के नाम भी शामिल हैं| कुल 26 में से तीन संसद नागेंद्र सिंह, मनोहर ऊंटवाल विधायक बन गए हैं और सुषमा स्वाराज ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है| पार्टी सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के सभी दस सांसदों के टिकट काटे जाएंगे| इससे पहले छत्तीसगढ़ भाजपा प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अनिल जैन ने इसके संकेत दिए थे| उन्होंने केंद्रीय चुनाव समिति से मांग की थी कि प्रत्याशियों का चेहरा बदला जाए, जिसे समिति ने स्वीकार कर लिया है। लिस्ट जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। बता दें कि राज्य में छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है. 2014 के चुनाव में 10 सीटों पर बीजेपी ने और 1 पर कांग्रेस ने कब्जा किया था| कहा जा रहा है कि सांसदों को लेकर ऐंटी इन्कंबेंसी और 2018 के विधानसभा चुनावों के परिणाम को देखते हुए पार्टी सभी सांसदों के स्थान पर नए चेहरों को मौका देने की रणनीति अपनाएगी।