नगरीय निकाय चुनाव को लेकर निर्वाचन आयुक्त का बयान : 3 मार्च को जारी होगी फाइनल वोटर लिस्ट, फिर होगी चुनाव की घोषणा

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय का चुनाव (MP Urban Body Elections) होना है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते अब तक इसकी घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में आज राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह (State Election Commissioner BP Singh) ने कहा कि 3 मार्च को फाइनल वोटर लिस्ट आएगी। जिसके बाद चुनाव की घोषणा कर दी जाएगी। इस साल कोरोना महामारी के चलते नगरीय निकाय चुनाव (MP Urban Body Elections) काफी लंबा खींचता चला जा रहा है। हर पंचवर्षीय की भांति इस साल भी नगरीय निकाय चुनाव अप्रैल 2020 में होना था, लेकिन अब तक चुनाव की घोषणा भी नहीं की गई है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former Chief Minister Kamal Nath) ने नगरी निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थी, लेकिन उस दौरान महापौर का चुनाव होने के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था।

इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह (State Election Commissioner BP Singh) ने कहा कि हमारा देश लोकतंत्र देश (Democracy country) है, लेकिन हमारे लिए लोकतंत्र (Democracy) तो तभी होगा जब हमारा नाम वोटर लिस्ट (Voter list) में जुड़ेगा। मतदाता सूची में नाम जुड़ने के बाद ही हम जाकर वोट दे पाएंगे। ऐसे में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि मतदाता सूची में सबका नाम होना चाहिए। साथ ही यह सबको स्वयं भी देख लेना चाहिए कि उनका नाम मतदाता सूची (voter’s list) में है या फिर नहीं है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।