अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस : समानता, सशक्तिकरण और समावेशन की पहल, जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम

आज के दिन का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना, समाज में उनकी सहभागिता को बढ़ावा देना और उनके प्रति भेदभाव समाप्त करना है। यह दिन शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य क्षेत्रों में समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में जागरूकता बढ़ाने का काम करता है। आज के दिन सीएम डॉ मोहन यादव ने आह्वान किया है कि दिव्यांगजनों की प्रगति में हम भी उनके साथी बनें और समान अवसर उपलब्ध कराएं।

Shruty Kushwaha
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International Day of Persons with Disabilities : आज अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस है। हर साल 3 दिसंबर को ये दिन समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों-गरिमा की रक्षा और उन्हें समाज में समावेश करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि दिव्यांगता शारीरिक या मानसिक बाधा नहीं, बल्कि एक अलग क्षमता है और समाज को उनकी क्षमताओं को पहचानने और प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

आज इस विशेष दिन पर सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा है कि हमें दिव्यांगजनों के प्रति सम्मानजनक और समान अवसर उपलब्ध कराने का रवैया रखना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है कि ‘अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर उन दिव्यांग भाई-बहनों को नमन करता हूँ, जिन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी जिजीविषा, दृढ़ता और अटूट संकल्प के बल पर सफलता प्राप्त की और विषम चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर नया अध्याय लिख दिया। आइये, इस अवसर पर दिव्यांगजनों की प्रगति में हम भी उनके साथी बनें और समान अवसर उपलब्ध कराएं।’

क्यों मनाया जाता है International Day of Persons with Disabilities 

विश्व में लगभग 1 अरब लोग किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता का सामना कर रहे हैं। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 2.21% लोग दिव्यांग हैं। इनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और उनके पास स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी होती है। इसीलिए इस दिन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर दिव्यांग व्यक्तियों की समस्याओं को उजागर किया जाता है और उनके समाधान के लिए प्रयास किए जाते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि समाज को दिव्यांग व्यक्तियों को केवल सहायता प्राप्त करने वाले के रूप में नहीं, बल्कि समान भागीदारों के रूप में देखना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का इतिहास और इस साल की थीम

संयुक्त राष्ट्र ने 1981 को “दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया था। इसके बाद, 1983-1992 को “दिव्यांग व्यक्तियों के लिए संयुक्त राष्ट्र दशक” घोषित किया गया। इन प्रयासों के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनकी भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया। 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 3 दिसंबर को इस दिन को मनाने की आधिकारिक घोषणा की।

इस साल की थीम “समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना” है। इस थीम का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को नेतृत्व के केंद्र में लाना और उनके अनुभवों और योगदानों को मान्यता देना है। यह थीम न सिर्फ समावेश की भावना को बढ़ावा देती है, बल्कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में उनकी भूमिका को भी रेखांकित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य वैश्विक संगठनों ने इस अवसर पर विशेष ध्यान दिया है ताकि स्वास्थ्य सेवाओं और सामुदायिक परियोजनाओं में दिव्यांग व्यक्तियों की भागीदारी को बढ़ाया जा सके।

इस दिन का उद्देश्य और महत्व

इस दिन का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति भेदभाव को खत्म करना, उनके लिए समावेशी शिक्षा और रोजगार में भागीदारी को सुनिश्चित करना और उनकी समाज में सक्रिय भूमिका को बढ़ावा देना है। इस दिन दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को संरक्षित करने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने, उनके सशक्तिकरण के लिए शिक्षा रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने के साथ दिव्यांगता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण लाने के लिए नीतिगत स्तर पर सुधार करना और संसाधन प्रदान करने के प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (2006) ने उनकी गरिमा और अधिकारों की रक्षा के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान किया। यह सुनिश्चित करता है कि दिव्यांग व्यक्ति शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, रोजगार और अन्य सामाजिक सेवाओं में समान अवसर प्राप्त करें।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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