40 साल की नौकरी में अकूत संपत्ति, लोकायुक्त पुलिस ने शिक्षक के घर मारा छापा, अगले साल है रिटायरमेंट

खास बात ये है कि अगले साल सहायक शिक्षक का रिटायरमेंट होना था। हरिशंकर दुबे जो जबलपुर के रहने वाले है, उन्होंने पूरी नौकरी जबलपुर शहर और आसपास ही की है। लोकायुक्त पुलिस अब इसकी भी जांच कर रही है कि कैसे उन्होंने इस तरह से संपत्ति बनाई है।

Atul Saxena
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Jabalpur Lokayukta Police Action: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में जबलपुर लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार की दोपहर को सुहागी स्थित शिक्षक के घर पर छापामार कार्रवाई की है। शिक्षक का नाम हरिशंकर दुबे (61) है, जिसने की 40 साल की नौकरी में अकूत संपत्ति बना ली थी।जिसकी शिकायत लोकायुक्त एसपी से की गई थी ।

शिकायत के बाद आज डीएसपी दिलीप झरबड़े की टीम ने जैसे ही शिक्षक के घर पर छापा मारा तो आसपास हड़कंप मच गया। 61 वर्षीय हरिशंकर दुबे 1986 से शिक्षा विभाग में पदस्थ है, इस दौरान इन्होंने अपनी पूरी नौकरी जबलपुर में ही की है। लोकायुक्त पुलिस ने जांच के दौरान संपत्ति से जुड़े कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए है।

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घर और फॉर्म हॉउस पर एक साथ एक्शन 

बता दें, शिक्षा विभाग में पदस्थ सहायक शिक्षक हरिशंकर दुबे शासकीय स्कूल बरखेड़ा में पदस्थ है। लोकायुक्त को शिकायत मिली थी कि हरिशंकर दुबे ने अपनी नौकरी के दौरान बड़ी काली कमाई एकत्रित की थी। लोकायुक्त पुलिस ने एक साथ सुहागी स्थित घर और फार्म हाउस में छापा मारा है। लोकायुक्त को अभी तक सहायक शिक्षक के पास से 100 प्रतिशत अधिक अनुपातहीन संपत्ति मिली है।

जांच में मिला दो मंजिला बंगाल, लग्जरी कार 

डीएसपी दिलीप झरबड़े ने बताया कि शिकायत का परीक्षण करने के बाद यह कार्रवाई की गई है। जांच के दौरान सुहागी में दो मंजिला बंगला, एक लग्जरी कार सहित जमीन के दस्तावेज भी मिले है। उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच में अभी 100 प्रतिशत अधिक अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा हुआ हैअभी जांच जारी है।

अगले साल है रिटायरमेंट  

खास बात ये है कि अगले साल सहायक शिक्षक का रिटायरमेंट होना था। हरिशंकर दुबे जो जबलपुर के रहने वाले है, उन्होंने पूरी नौकरी जबलपुर शहर और आसपास ही की है। लोकायुक्त पुलिस अब इसकी भी जांच कर रही है कि कैसे उन्होंने इस तरह से संपत्ति बनाई है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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