महिला अतिथि विद्वान ने लिखा CM मोहन यादव को पत्र, लगाई न्याय की गुहार, की ये मांग, कहा- हम सरकार के हाथों छले गए

डॉ सीमा शाहजी ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखा है। उन्होनें अतिथि विद्वानों के लिए न्याय की मांग की है।

Manisha Kumari Pandey
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MP News: रक्षाबधन पर प्रदेश की उच्च शिक्षित बहन ने वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होनें अतिथि विद्वान महापंचायत में की गई घोषणाओ को हुबहु लागू करने की मांग कर न्याय मांगा है। झाबुआ निवासी 54 वर्षीय डॉ सीमा शाहजी ने पत्र के जरिए अतिथि विद्वान के रूप में अपनी और अन्य की आप बीटी आपबीती साझा की है। पिछली सरकार पर अतिथि विद्वानों से छल करने का आरोप भी लगाया है।

उच्च शिक्षित बहन ने बताई आपबीती

डॉ सीमा शाहजी हिन्दी विषय में पीएचडी है और प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पिछले 18 साल से अतिथि विद्वान के रूप में कार्य कर रही हैं। घर में बूढ़े माता-पिता थे। पिता अक्सर बीमार रहते थे फिर भी उन्हें इस स्थिति में छोड़कर डॉ. शाह जी महाविद्यालय जाती रही। अपने बेटी के नियमित होने का सपना आँखों में लिए डॉ. शाह जी के पिता वर्ष 2022 में दुनिया से चले गये। 27 वर्षों बाद 2017 में मप्र में सहायक प्राध्यापकों की नियमित भर्ती के लिए पीएससी हुई उस वक्त उनकी उम्र 48 वर्ष हो गई थी। कोर्ट के आदेश पर उन्हें परीक्षा में बैठने की छूट मिली, जिसमें उन्होंने 90% अंक प्राप्त किये पर चयनित नहीं हो सकी। आज 54 वर्ष की उम्र में परीक्षा देने का अवसर ही नहीं बचा।

उन्होनें पत्र में लिखा कि, “जब उनके पास उम्र थी, जज्बा था, अनुकुल परिस्थितियां थीं तब प्रदेश में 27 वर्षों तक सहायक प्राध्यापक के लिए नियमित पीएससी नहीं हुई । सहायक प्राध्यापक के अपने स्वप्न को पूर्ण करने के लिए डा.सीमा को अतिथि विद्वान व्यवस्था को चुनना पड़ा।” आगे पत्र में डॉ सीमा ने लिखा, “अतिथि विद्वान के रूप में नियमित सहायक प्राध्यापक के समान समस्त कार्यों को करते हुए भी ना तो सहायक प्राध्यापक के समान वेतन मिलता है , ना अन्य सुविधाएँ ना ही नौकरी की कोई सुरक्षा होती है।

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पीएससी ना होने का खामियाजा युवा भुगत रहे हैं

11 सितंबर 2023 को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंघ चौहान से अतिथि विद्वानों को लेकर कई घोषणाएं की थी। इन घोषणाओं के साक्षी वर्तमान सीएम भी रहें। लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण उनपर अमल नहीं हो पाया। लेकिन डॉ शहजी ने लिखा, “मैं प्रदेश की बहन होने के नाते आपको अपनी पीड़ा बताने का हक रखती हूँ। इसमें मेरा क्या दोष है। 27 वर्ष तक नियमित पीएससी ना होने का खामियाजा हम युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। अब उम्र 54 हो गई है। प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने की उम्र भी नहीं रही।” उन्होनें आगे कहा, “अब मेरे और मेरे जैसे हजारों भाई-बहनों का क्या भविष्य? रक्षाबंधन के अवसर आपकी उच्च शिक्षित बहन आपसे भविष्य सुरक्षा का आशीर्वाद मांगती है।”

सरकार पर लगाया छल करने का आरोप

डॉ. सीमा शाहजी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि, “2019 में भाजपा सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चोहान ने अतिथि विद्वानों से स्थायीत्व का वादा किया। लेकिन सत्ता में आते ही सब भूल गये । वर्ष 2023 में अतिथि विद्वान महापंचायत में अतिथि विद्वानों के लिए घोषणाए की गई पर उन घोषणाओं पर अमल नहीं हुआ। अतिथि विद्वान सरकार के हाथों छले गये। ”

क्या है अतिथि अतिथि विद्वानों की मांग?

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंघ चौहान ने कार्य दुवस के बजाय मासिक वेतन 50,000 रुपये तक होने का ऐलान किया था। शासकीय सेवकों से समान अवकाश सुविधा, पीएससी परीक्षा में 25% आरक्षण और अधिकतम अंक को 10% करने की घोषणा की थी, जो अभी भी अपूर्ण हैं। वहीं पास के महाविद्यालय में स्थानंतरण की सुविधा प्रक्रियाधीन है। इन मांगों को लेकर अथति विद्वान नियमितीकरण संघ मोर्चा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

 


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