भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) सूचना आयोग (information commission) ने कुछ महीने की शुरुआत में सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन भरने के लिए एक ऑनलाइन सुविधा (online process) शुरू की थी। जिससे राज्य के लोगों को राज्य सरकार से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए एक मंच मिला है। इसके साथ, मध्य प्रदेश RTI अधिनियम 2005 के तहत ऑनलाइन सुविधाएं प्रदान करने वाला देश का 10वां राज्य बन गया।
साथ ही, यह विशेष रूप से कोरोना महामारी (corona pandemic) के बाद एक बहुत ही आवश्यक कदम रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित ऑनलाइन RTI Portal, हालांकि, अब तक राज्य सरकार के 50 से अधिक विभागों में से केवल चार को ही पूरा कर रहा है। ऑनलाइन RTI सुविधा के तहत जिन विभागों को शामिल किया गया है। उनमें उच्च शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम और सार्वजनिक सेवाओं के लिए राज्य एजेंसी शामिल हैं।
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मध्य प्रदेश में आरटीआई दाखिल करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल 10 अक्टूबर को शुरू हुए हैं, लेकिन लोगों ने इसकी सेवाओं के बारे में शिकायत करना शुरू कर दिया है, खासकर दो कारणों से। पहला, राज्य सरकार के 52 विभागों में से सिर्फ चार विभागों को ही पोर्टल में क्यों शामिल किया गया है? दूसरा, लोगों ने शिकायत की कि ऑनलाइन पोर्टल ज्यादातर समय आवेदन स्वीकार नहीं करता है।
आरटीआइ (सूचना का अधिकार) के आवेदन लेने की प्रक्रिया पर एनआइसी (राष्ट्रीय सूचना केंद्र) ने यह सेवा आनलाइन तो कर दी है, पर 4 विभाग कोे छोड़कर अन्य किसी भी विभाग में लोग सीधे तौर पर आरटीआइ के आवेदन नहीं भेज सकते हैं, दरअसल 4 विभागों के अलावा अभी तक अन्य विभागों को इस सेवा से जोड़ा ही नहीं गया है।
वही सीएम शिवराज ने ई गवर्नेंस की तारीफ करते हुए जनता से सीधे जुड़े सेवक ऑनलाइन करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही साथियों शिवराज लगातार समीक्षा बैठकों में जनता से सीधे रूबरू होने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश देते रहते हैं। इसी बीच 4 विभागों को छोड़कर अन्य विभागों द्वारा आरटीआई के लिए ऑनलाइन सर्विस नहीं अपनाने मामले में अब विभाग सतर्क हो गया है। कई विभागों द्वारा आरटीआई के लिए ऑनलाइन सर्विस की तैयारी पूरी कर ली गई है। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि जल्द ही कई विभागों में यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।