भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) की अध्यक्षता में हुई बैठक में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले, इसे लेकर किये जा रहे प्रयासों पर चर्चा हुई। इसे लेकर सरकार अपने स्तर पर और न्यायालय में भी पूरी ताकत से अपना पक्ष रखेगी। देश के बड़े अधिवक्ता रविशंकर प्रसाद, तुषार मेहता और एडवोकेट जनरल ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट में सरकार का पक्ष रखेंगे।
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बैठक के बाद नगरीय आवास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले और इसी बात पर बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। उन्होने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 8 मार्च 2019 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के द्वारा जो आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक पारित किया गया था वो केवल राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु था। कांग्रेस की मूल भावना ओबीसी वर्ग के साथ छलावा करके उन्हें गुमराह करने की थी। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पहले शिवराज सरकार ओबीसी आरक्षण के साथ मेरिट लिस्ट में भी ओबीसी को प्राथमिकता देती थी लेकिन कमलनाथ सरकार ने इस नियम में संशोधन लाकर सिर्फ ओबीसी आरक्षण देने की बात कही और ओबीसी की मेरिट लिस्ट को प्राथमिकता देने की नियमों को समाप्त कर दिया, कांग्रेस ने ओबीसी के साथ छलावा किया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने मार्च 2019 मे अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाला आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत कर दिया था। आरक्षण मे की गई इस वृद्धि के खिलाफ हाईकोर्ट मे याचिकाएं दायर की गयी थी जिनकी एक साथ सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के इस अध्यादेश पर रोक लगा दी थी, जो कि अभी भी जारी है। इस रोक के तहत OBC को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। वहीं 10 अगस्त को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में हुई सुनवाई में 27 प्रतिशत आरक्षण ( OBC Reservation) पर लगी रोक को बरकरार रखा है। अब इस मामले में कोर्ट अंतिम सुनवाई 1 September 2021 में होगी।