जबलपुर। संस्कारधानी कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के जबलपुर को संघ का गढ़ माना जाता है। यहां से भाजपा परचम लहराता रहा है। लेकिन विधानसभा के नतीजों और वर्तमान सांसद की गौर मौजूदगी ने बीजेपी की फ्रिक बढ़ा दी है। इस सीट से भाजपा के राकेश सिंह सांसद हैं। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। विधानसभा चुनाव में जबलपुर से कांग्रेस को अच्छे नतीजे मिले हैं। यहां से दो कद्दावर नेता जीत कर कैबिनेट मंत्री हैं। इसलिए कांग्रेस हर हाल में यह सीट बीजेपी से जीतना चाहती है।
दरअसल, बीते पांच सालों में जबलपुर सांसद राकेश सिंह की सक्रियता कम हुई है। जिससे स्थानीय स्तर पर उनके प्रति लोगों में उनका वर्चस्व कम हुआ है। आलाकमान ने सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जिसके बाद उनका अपने क्षेत्र में समय देना लगभग बहुत कम हो गया। कई स्थानीय लोगों में इसे लेकर नाराजगी है। इसलिए बीजेपी की इस सीट पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को लेकर यहां माहौल दिखाई दे रहा है। लोगों में उनको लेकर एक अलग तरह की मांग है।
स्थानीय कारोबारी से लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता, व्यापारी और पेंशनर वर्तमान सांसद राकेश सिंह से नाराज हैं। उनका कहना है कि सांसद ने बीते की सालों से अपने क्षेत्र को समय नहीं दिया है। इसलिए वह इस बार पार्टी भी बदलवा के लिए तैयार हैं। कांग्रेस से किस प्रत्याशी को टिकट दिया जाए। इस पर स्थानीय लोगों का कहना है कि विवेक तन्खा सही उम्मीदवार होंहे। वह राज्यसभा सांसद होने के बाद भी जबलपुर की हर समस्या के निपटारे के लिए तैयार रहते हैं। उनके कहने पर पहली बार जबलपुर में कैबिनेट बैठक तक आयोजित की गई। इसलिए कांग्रेस को उनका उतारना चाहिए।
जबलपुर सामान्य सीट होने की वजह से कांग्रेस यहां से किसी सवर्ण या फिर ओबीसी चेहरे को मैदान में उतार सकती है. अगर पार्टी फोरम की बात करें तो कुछ चेहरों पर चर्चा चल रही है. फिलहाल दावेदारों की रेस में नगर कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश यादव का नाम सबसे आगे है. जबलपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष प्रेम दुबे ने तो तैयारी भी शुरू कर दी है.इसके बाद जिन अन्य युवा चेहरों जगत बहादुर सिंह अन्नू और पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी भी टिकट की रेस में हैं