BJP के इस दांव से फिर मिल सकती है जीत, वर्तमान सांसद का टिकट कटना तय!

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भोपाल। मध्य प्रदेश के शहडोल लोकसभा संसदीय क्षेत्र में इस बार बीजेपी के लिए पार पाना मुश्किल नजर आ रहा है। यहां से वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह का रिपोर्ट कार्ड भी कुछ खास नहीं आया है। बीजेपी के सर्वे में उनके प्रति जनता में नाराजगी है जो उनकी हार में तब्दील हो सकती है। इसलिए पार्टी उनकी जगह इस बार किसी और को मौका देने की फिराक में है। वहीं, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार वोटरों को उसकी ओर ले जा सकता है। 

शहडोल लोकसभा संसदीय क्षेत्र एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। पूर्वी मध्य प्रदेश में बसे अनूपपुर, उमरिया, शहडोल और कटनी में एसटी वर्ग की तादाद अधिक है। बीजेपी के लिए शहडोल लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है। यहां पर आदिवासी वोट बैंक का बड़ा तबका है। जिसे बीजेपी हरगिज खोना नहीं चाहती। लेकिन स्थीनय लोगों में बीजेपी के खिलाफ यहां नाराजगी है। इस नाराजगी को कांग्रेस अपने वोट में कैश करना चाहती है। उसे विश्वास है कि वह इस बार बीजेपी से ये सीट छीनने में कामयाब होगी। वर्तमान में यहां से बीजेपी के ज्ञान सिंह सांसद हैं। उनसे पहले यहां से बीजेपी के दलपत सिंह परस्ते सांसद थे। उनके निधन के बाद 2016 में उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली और ज्ञान सिंह सांसद चुने गए। वह शिवराज सरकार में कैबिनट मंत्री थे। वह लोकसभा नहीं लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी के कहना पर उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा। लोकसभा में भी वह कुछ खास करते नहीं दिखाई दिए। स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह सांसद चुने जाने के बाद भी उमरिया तक ही सीमित रहे। 

क्या है वोटों का गणित

2014 में, परस्ते ने 2.40 लाख से अधिक मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के राजेश नंदिनी सिंह को हराया था। ये ऐसी जीत थी कि भाजपा उम्मीदवार को 54% से अधिक वोट मिले, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को लगभग 29% वोट मिले। हालांकि, दो साल बाद परस्ते के निधन होने के बाद हुए उप चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत कम हुआ। ज्ञान सिंह ने कठिन चुनाव में सिर्फ 60,000 वोटों से हिमाद्री सिंह के खिलाफ जीत दर्ज की। सिंह को 4.81 लाख वोट मिले। हिमाद्री सिंह ने 4.21 लाख वोट हासिल किए। नतीजे चौंकाने वाले थे और जनता के बीच बीजेपी के लिए पनप रहे गुस्से को दर्शाते हैं। सिंह ने भी सांसद बनने के बाद विकासकार्य नहीं किए। विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले अच्छा समर्थन मिला है। जिससे बीजेपी खेमे को अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है। शहडोल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में कांग्रेस को भाजपा से अधिक वोट मिले। कुल मिलाकर, कांग्रेस को 5.12 लाख से अधिक वोट मिले, जबकि भाजपा को 4.90 लाख वोट मिले।

कांग्रेस एक बार फिर हिमाद्री सिंह को टिकट देने पर विचार कर रही थी। लेकिन हिमाद्री ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया।  विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे आकर्षक और युवा चेहरे के तौर पर पहचान रही है हिमाद्री की। वे कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर शहडोल से लोकसभा का उपचुनाव भी लड़ चुकी हैं। हिमाद्री ने सितंबर, 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी के साथ विवाह रचाया। अब उन्होंने ससुराल के सदस्यों की पार्टी भाजपा में प्रवेश कर लिया है। हिमाद्री भी कहती हैं, “शादी के बाद एक लड़की घर छोड़कर दूसरे घर आती है तो उसका परिवार वही हो जाता है। मैं भी अपने माता-पिता का घर छोड़कर नरेंद्र मरावी के घर आई। जब मायके में थी तो कांग्रेस में रही और अब जब मरावी के घर आई तो भाजपा में चली आई।” अब बीजेपी उन्हें इस सीट से टिकट दे सकती है। इस फैसले का बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 


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