CPR से बचा सकते हैं किसी की जान, जानें कब और कैसे देना चाहिए सीपीआर

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पिछले कुछ समय में हार्ट अटैक (Heart attack) की घटनाओं के बढ़ने की खबरें आ रही है। ऐसी मेडिकल इमरजेंसी में में सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) देकर सामने वाले की जान बचाई जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो जाए, दिल की धड़कन बंद हो या पल्स न चल रही हो तो ऐसे हालात में CPR देना चाहिए। इससे मरीज को सांस लेने में मदद मिलती है।

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ये एक लाइफ सेविंग तकनीक है जो इमरजेंसी में व्यक्ति की जान बचाने के लिए उपयोग में लाई जाती है। अगर किसी की हृदय गति रुक तो अस्पताल पहुंचने तक की अवधि में सीपीआर जीवन रक्षक की तरह काम करता है। इस प्रक्रिया में छाती को दबाकर और मुंह से सांस देकर सामने वाले के ह्रदय को दोबारा एक्टिव किया जाता है। सीपीआर दो तरह से दिया जाता है। पहला, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को और दूसरे में मेडिकल इक्विपमेंट की मदद से भी सीपीआर दी जाती है। लेकिन दूसरे तरीके के लिए मरीज को अस्पताल में होने चाहिए। व्यक्ति से व्यक्ति को दिया जाना वाला सीपीआर भी उम्र के अनुसार अलग तरीके से दिया जाता है। बच्चों को अलग और बड़ों को अलग तरह के सीपीआर की जरुरत होती है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।