Lunar eclipse 2021: साल के आखिरी चंद्रग्रहण पर ज्यादा सावधानी बरतें गर्भवती महिलाएं, जानिए कैसे रहें सुरक्षित?

Gaurav Sharma
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। 19 नवंबर 2021 यानि शुक्रवार का दिन साल के आखिरी चंद्रग्रहण का दिन है, इस दिन अर्धचंद्रग्रहण है जिसे काफी खास माना जा रहा है। यूरोप के पश्चिमी हिस्सों, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ऐशिया के कई देशों से ये ग्रहण दिखेगा और इसका असपर भी पड़ेगा। ऐसे मौकों पर राशियों के लिए तो अलग अलग पूर्वानुमान होते ही हैं गर्भवती महिलाओं को भी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। सिर्फ भारत ही नहीं कई अन्य देशों में भी दोनों तरह के ग्रहण को गर्भवती महिलाओँ के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है पर सदियों से ये मान्यता चली ही आ रही है। खास बात ये है कि इसे विज्ञान ने माना नहीं है पर पूरी तरह नकारा भी नहीं है।

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क्या करें गर्भवती महिलाएं?

पुरानी मान्यताएं हैं कि गर्भवती महिलाएं अगर ग्रहण की रोशनी के संपर्क में आती हैं तो उनके गर्भ में पल रहे शिशु को कोई नुकसान हो सकता है। ऐसे में उन्हें हमेशा ये सलाह दी जाती है कि ग्रहण के दौरान वो घर में ही रहें, खासतौर से ऐसे कमरें में रहें जहां ग्रहण की रोशनी भी न आए।

बुजुर्ग ये भी सलाह देते हैं कि अगर एक कमरे में रह पाना मुमकिन नहीं है तो गर्भवती महिलाएं पेट पर गेरू लगा कर रहें ताकि बच्चे तक ग्रहण की रोशनी न पहुंचे।

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कई परिवार सख्त नियमों का पालन करते हुए इस दौरान घर में न कुछ पकाते हैं और न ही खाते हैं। कुछ घरों में ये नियम गर्भवती महिलाओं पर भी लागू होते हैं। हालांकि समय के साथ इन सख्त नियमों में महिला की स्थिति देखते हुए ढील मिलने लगी है।

एक मान्यता ये भी है कि गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान तेज धार या नोंक वाली वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। मसलन चाकू, कैंची, सूई जैसी वस्तुओं से दूरी बनाए रखनी चाहिए।

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क्या कहता है विज्ञान?

विज्ञान या मेडिकल साइंस ने हालांकि ग्रहण से होने वाले ऐसे किसी नुकसान की पुष्टि नहीं की, पर, इन बातों को कभी किसी तर्क के साथ सिरे से नकारा भी नहीं जा सका है। मेडिकल साइंस हमेशा ग्रहण की तरफ सीधे देखने से जरूर इंकार करता रहा है। दावा यह है कि ग्रहण की रोशनी से आंखों को नुकसान हो सकता है। इस बारे में भी काफी मान्यताएं प्रचलित हैं, ये भी माना जाता है कि ग्रहण की तरफ देखने से आंखों की रोशनी ही चली जाती है। हालांकि ये बात तर्कहीन साबित हो चुकी है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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