मंदिर समिति के अध्यक्ष सुकुमार कुंडा ने वहां के स्थानीय मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, “यह काली मंदिर औपनिवेशिक काल से ही हिंदुओं का पूजा स्थल रहा है। हमला रात 3 से 4 बजे के बीच हुआ। मंदिर में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, इसलिए हमलावर बिना किसी डर के मूर्तियों को खंडित कर पाए। यह घटना बांग्लादेश में 10 दिवसीय दुर्गा पूजा खत्म होने के 24 घंटे के अंदर हुई है और ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना है क्योंकि पूरे देश में इन 10 दिन में कोई घटना नहीं हुई। पिछले साल की तुलना में इस साल दुर्गा उत्सव काफी शांति से मनाया गया।”
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वहीं, बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद के महासचिव चंदनाथ पोद्दार ने बताया, ”घटना रात में झेनैदाह के मंदिर में हुई। प्रख्यात ढाका विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर पोद्दार ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना कहा क्योंकि पूरे देश में दस दिवसीय उत्सव में कोई व्यवधान पैदा नहीं हुआ।” जबकि झेनाइदाह पुलिस के सहायक अधीक्षक अमित कुमार बर्मन ने कहा कि, ”मामला दर्ज कर लिया गया है और संदिग्धों की तलाश की जा रही है।”
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पिछले साल भी बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान कट्टरपंथियों ने उत्पात मचाया था। दरअसल, पिछले साल चांदपुर जिले में अज्ञात आरोपियों ने हिंदू मंदिर पर बंदूक से हमला कर दिया था। इस घटना में 3 लोगों की हत्या कर दी गई थी। बता दें कि बांग्लादेश में करीब 16 करोड़ 90 लाख की आबादी है जिसमें से हिंदूओं की संख्या मात्र 10 प्रतिशत हैं इसलिए आए दिन हिंदूओं को ऐसी घटनाओं का शिकार होना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में सुरक्षा और आर्थिक रुप से परेशान होने के कारण हर दिन करीब 750 हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर रहे हैं। जिनमें से ज्यादातर हिंदू भारत आने की कोशिश करते हैं।
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