भारत का अनोखा गांव, जहां बिना वीजा-पासपोर्ट के दो देशों में घूमते हैं लोग!

गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों और पहाड़ियों के लिए भी मशहूर है। यहां आने वाले पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति, लकड़ी पर नक्काशी किए गए घर और पारंपरिक नागा व्यंजन चखने को मिलते हैं।

Sanjucta Pandit
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भारत में एक से बढ़कर एक घूमने वाली जगह हैं। यहां का हर गांव, हर शहर अपनी अलग संस्कृति के लिए जाना जाता है, जो कई इतिहासों को अपने साथ समेटे हुए हैं। यहां का खान-पान, पहनावा-उढ़ावा, परंपरा इसे सबसे अलग बनाती है। पूरब से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक… पहाड़ की वादियां, समुद्र की लहरें, पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है। सालों भर यहां लोग घूमने-फिरने जाते हैं। आज हम आपको ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां हर व्यक्ति के पास दो देशों की नागरिकता है।

दरअसल, इस गांव का नाम लोंगवा है, जो नागालैंड में स्थित है। यहां के लोगों के पास भारत के साथ-साथ म्यांमार की भी नागरिकता है, क्योंकि यह गांव भारत और म्यांमार की सीमा पर बसा हुआ है।

रीति-रिवाज है खास

इस गांव की आधी जमीन भारत में है, तो आधी जमीन म्यांमार में है। इसी कारण यहां के लोगों के पास दो देशों की नागरिकता है। यहां वह स्वतंत्र रूप से आ जा सकते हैं। इस गांव के राजा का घर भी दो देशों में बांटा हुआ है। खास तौर पर यहां कोन्याक जनजाति के लोग रहते हैं, जहां की परंपरा और रीति-रिवाज काफी विशेष और महत्वपूर्ण है। यहां लोग बिना किसी पासपोर्ट या वीजा के दोनों देशों में आ जा सकते हैं।

दोनों देशों की संस्कृति का अनोखा संगम

यहां के कई घर तो ऐसे हैं, जहां किचन भारत में है, तो बेडरूम म्यांमार में है। यहां की अनोखी परंपरा लोगों को काफी पसंद आती है। यहां दोनों देशों की संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। लोग दोनों देशों की सरकारी सुविधाओं का लुफ्त उठा सकते हैं। दोनों जगह पर वह स्वतंत्र तौर पर रह सकते हैं। यहां की अनोखी आदिवासी परंपरा इसे देशभर के अन्य गांव से काफी अलग बनाती है।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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