Autistic Pride Day 2024: ऑटिज्म न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो बच्चों में लगभग 3 साल की उम्र होने से पहले ही शुरू हो जाता है। इससे पीड़ित लगभग 40% बच्चे बोल भी नहीं पाते हैं। वहीं लोगों को ऑटिज्म के बारे में बताने और जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर साल 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं क्या है ऑटिस्टिक प्राइड डे और इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे और कब हुई।
क्या है ऑटिस्टिक प्राइड डे?
ऑटिज्म एक बीमारी है इससे पीड़ित बच्चों को सीखने और समझने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार बच्चें बोल तक नहीं पाते है। इसके बारे में लोगों को जागृत करने के लिए ही दुनियाभर में हर साल 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है। ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित लोगों का सम्मान करने के लिए ये खास मानाया जाता है।
ऑटिस्टिक प्राइड डे का इतिहास
मिली जानकारी के मुताबिक ऑटिस्टिक प्राईड डे मनाने की शुरुआत सबसे पहले ब्राजील से हुई थी। साल 2005 में पहली बार एस्पिस फॉर फ्रीडम AFF द्वारा ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया गया था। तब से लेकर आज तक हर साल 18 जून को ऑटिस्टिक प्राईड डे मनाया जाता है और लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाता है।
इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य
ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को ऑटिज्म के बारे में जागरूक करने से है। लोगों को इस बारे में बताना है कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की आकांक्षाएं और संभावनाएं सामान्य बच्चों से थोड़ी कम होती है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को अच्छा माहौल और बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराने के लिए इस खास दिन को मनाया जाता है। वहीं AASD जैसे संगठन कई कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं।
लक्षणों से करें पहचान
ऑटिज्म बीमारी बच्चों को 3 साल की उम्र से भी पहले हो जाती है। वहीं आप इसके लक्षणों से इस बीमारी की पहचान कर सकते हैं। बच्चों में लैंग्वेज स्किल्स की कमी होती है, सोशल स्किल्स की कमी, मानसिक अवसाद, कुछ बोलने पर जवाब नहीं देना, लोगों के बीच में रहना और खेलना पसंद नहीं, भाषा के विकास में परेशानियों का सामना करना आदि ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं।