Onam 2023 : भारतीय संस्कृति में विविधता और एकता का अद्भुत मेल है। समाज सदाचार और परंपरागत मूल्यों के साथ मिलकर समृद्धि की ओर बढ़ता है। हमारे जीवन में उत्सवों का विशेष महत्व है, और उनमें से एक ऐतिहासिक महत्व वाला उत्सव है “ओणम”। यह उत्सव मुख्य रूप दक्षिण भारत में मनाया जाता है और भारतीय संस्कृति की धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वामन अवतार और राजा महाबलि की कथा
केरल में ओणम के दिन से मलयालम नववर्ष का शुभारंभ होता है। इसके साथ भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा महाबलि से जुड़ी कहानी है। कथा अनुसार एक समय केरल राज्य में राजा महाबलि नामक एक प्रजापति थे। वे बहुत ही उदार और दयालु थे, और उनकी प्रजा उनके इस गुण का अत्यधिक सम्मान करती थी। उनके राज्य में वृक्षों, पशु-पक्षियों का प्राकृतिक सौंदर्य था और प्रसन्नता, समृद्धि और आनंद से भरपूर था। एक दिन उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया, जिसमें वे छोटे से ब्राह्मण बालक के रूप में प्रकट हुए।
वे राजा बलि के दरबार में पहुंचे और उनसे तीन कदम भूमि की मांग की। राजा बलि का हृदय उदारता से भरा हुआ था और उन्होंने उसे तीन भूमि देने का वचन दिया। इसके बाद वामन अवतार धरे श्री विष्णु ने दो कदमों में धरती और आकाश नाम लिया। इसके बाद जब उन्होने राजा से पूछा कि तीसरा कदम कहां रखें, तो महाबलि ने अपना सिर उनके आगे झुका दिया। उनसे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का राजा बनाकर भेज दिया और अनुमति दी कि वो साल में एक बार अपनी प्रजा से आकर मिल सकते हैं। इस दिन को ही लोग उनके स्वागत में तरह तरह की सजावट करने लगे और पकवान बनाने लगे और ये ओणम पर्व के रुप में मनाया जाने लगा।
कृषि और प्रकृति से जुड़ा पर्व
ओणम एक कृषि और प्रकृति आधारित ग्रामीण महोत्सव भी है, जिसे भूमिगत संवर्धन और फसलों की उत्पत्ति के लिए आभार प्रकट करने रूप में मनाया जाता है। यह भारतीय कृषि परंपरा से जुड़ा है जो बरसाती मौसम में खेती की नई उपज होने पर मनाया जाता है। ओणम की तैयारियों में कई दिन पहले ही लोग जुट जाते हैं। उनके घरों को आकर्षक और रंगीन बनाने के लिए फूल, रंग, रंगोली आदि का प्रयोग किया जाता है। इस त्योहार में नृत्य, गान, संगीत, परंपरागत खेल और पूजा की जाती है। इस उत्सव की एक विशेषता ये है कि इस दौरान लोग कुटिया (विशेष प्रकार की नर्म सिट) पर नृत्य करते हैं, जिसे “पुलिकली” कहते हैं।
इन पकवानों के साथ मनाया जाता है त्योहार
ओणम पर्व के दौरान कई प्रकार के पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं जिनमें प्रमुख भोजन सादा चावल होते हैं, जिन्हें “ओणम चावल” कहा जाता है। इसे सामान्यत: सामने आने वाले पारंपरिक पकवानों के साथ खाया जाता है। इसके साथ ‘अवियल’ एक परंपरिक केरली पकवान है जिसमें विभिन्न प्रकार के सब्जियां मिलाकर बनाई जाती है। यह नारियल के दूध और कढ़ी पत्तr के साथ मिलाकर पकाया जाता है। ‘अप्पम’ एक प्रकार की दोसा होती है, जिसे फ़र्मेंटेड राइस मिक्स और नारियल के दूध से बनाया जाता है। इसे अकेले खाया जा सकता है या फिर उसे अवियल और चटनी के साथ परोसा जाता है।
‘पुळिक्करी’ एक खट्टी मीठी सब्जी होती है जिसमें कद्दू या यम्मेर जैसे सब्जियां उपयोग में लाई जाती है। ‘परिप्पु’ मूंग दाल की सब्जी होती है जिसमें दाल को उबालकर तैयार किया जाता है और उसमें तड़के के लिए मसाले मिलाए जाते हैं। ‘पायसम’ एक प्रकार की खीर होती है जिसमें चावल, दूध, चीनी और खसखस का प्रयोग होता है। यह मिठाई के रूप में खाई जाती है और उत्सव में अधिकतर घरों में बनाई जाती है। इसी के साथ वहां के मशहूर ‘पापड़’ होते हैं। ओणम का पर्व एकता, सामाजिक समरसता, और परंपरागत मूल्यों की महत्व के साथ मनाया जाता है है। यह उत्सव भारतीय संस्कृति के रंगीन और सामूहिक पहलुओं का प्रतीक है।