विश्व विकलांग दिवस 2022 : दया नहीं प्रोत्साहन की जरूरत, जानिये क्यों मनाया जाता है ये दिन

International Day of Persons with Disabilities 2022 : आज विश्व विकलांग दिवस है। 3 दिसंबर का दिन विश्व भर में ऐसे लोगों को समर्पित है, जो या तो जन्मजात रूप से शारीरिक विकलांग हैं या फिर बाद में किसी हादसे का शिकार हुए है। ये दिन उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया इख्तियार करने के लिए तो जागरूक करता ही है, लेकिन हमें ये बात समझने के लिए भी प्रेरित करता है कि सिर्फ शारीरिक रूप से किसी भी तरह अक्षम होना किसी के कमतर होना नहीं है।

विश्व विकलांग दिवस मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्रीय संघ द्वारा साल 1992 में की गई थी। इनके अधिकारों का कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र में 2006 में अपनाया गया। आज के दिन विकलांगजनों के साथ करूणा, सम्मानपूर्वक व्यवहार करने के साथ ही उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए मनाया जाता है। हमारे यहां इन्हें दिव्यांग नाम दिया गया है और लगातार ये प्रयास हो रहे हैं कि दिव्यांगजन को ऐसे अवसर मिले, जिससे वो आत्मनिर्भर होकर सम्मानजनक जीवन जी सकें। प्राकृतिक या परिस्थितिजन्य कारणों से दिव्यांग होने पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और इन सबकों भी एक सामान्य जीवन जीने का अधिकार मिले, यहीं इस दिन को मनाने का उद्देश्य है।

हम जब भी किसी दिव्यांग व्यक्ति से मिलते हैं तो हमारे मन में सहानुभूति जाग जाती है। अधिकांश लोग उनके साथ सहानुभूतिपूर्व व्यवहार ही करते हैं। लेकिन इससे ज्यादा जरुरत है उन्हें प्रोत्साहित करने की। हम सबने देखा है कि दिव्यांगजन अक्सर ही किसी न किसी विशेष गुण से परिपूर्ण होते हैं। चाहे वो संगीत हो, चित्रकारी या फिर कोई और कला..कुछ ऐसी अंतर्चेतना होती है इनमें कि वे इन कलाओं को बहुत अच्छी तरह अपना लेते हैं। इसीलिए इनके प्रति दया दिखाने की बजाय हमें एक मानवीय दृष्टि रखनी चाहिए और इनके रचनात्मक गुणों को बढ़ावा देना चाहिए। दिव्यांग होना एक शारीरिक चुनौती जरूर हो सकती है, लेकिन कोई कमी नहीं। इसीलिए दिव्यांगजनों के प्रति प्रेमपूर्ण समान व्यवहार किए जाने की जरुरत है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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