Ayurvedic Bathing Rules : नहाना शरीर को साफ और स्वच्छ रखने के लिए बेहद जरूरी है। नहाने से शरीर की त्वचा की सभी अवशिष्ट पदार्थ और कीटाणुओं धूल जाते हैं। इससे मानसिक राहत प्रदान होती है जो कि तनाव को कम करता है। नहाने से शरीर की बदबू को दूर किया जा सकता है और कीटाणुओं के विकास को रोका जा सकता है। दाग-धब्बे और मुंहासों को कम किया जा सकता है लेकिन क्या आप जानते हैं आयुर्वेद में नहाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं, जिससे शरीर की अनेक बीमारियां कोसो दूर रहेगी। यदि नहीं, तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इससे जुड़े 4 नियमों के बारे में विस्तार से बताते हैं…
समय से उठें
आयुर्वेद में सूर्योदय के समय उठना चाहिए, जिसे “ब्रह्ममुहूर्त” कहा जाता है। इस समय प्राकृतिक शांति और प्राकृतिक ऊर्जा होती है। ध्यान और साधना के लिए यह सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। वहीं, शौच क्रियाएं करने के बाद दांतों को साफ़ करें। जिसके बाद, नहा लें। इससे शरीर की त्वचा साफ होगी और ठंडी से राहत मिलता है।

गर्म पानी
आयुर्वेद में नहाने के लिए ठंडे या गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। बहुत अधिक गर्म पानी से नहाना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। हल्का गुनगुना पानी त्वचा में सूखापन नहीं लाता है और बालों को भी बिना नुकसान किए साफ करता है।
तेल मालिश
आयुर्वेद में नहाने से पहले शरीर पर तेल की मालिश करें। इससे रक्त संचारित होता है, जिससे शरीर के भिन्न हिस्सों में खून का प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है। यह त्वचा को मोइस्चराइज करती है और नमी को बनाए रखती है, जिससे ड्राइनेस और खुजली कम होती है।इसके अलावा, मांसपेशियों की ऐंठन कम होती है, जिससे शरीर का दर्द कम होता है।
सुखने दें
नहाने के बाद टॉवेल या गमछे से त्वचा को बहुत ज्यादा रगड़ने से या गमछे को कड़क से सुखाने से त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए आयुर्वेद के अनुसार, नहाने के बाद भींगे हुए शरीर को खुद से ही सुखने दें ताकि त्वचा को नुकसान से बचाया जा सके।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)