No Shopping Challenge : क्या आप नए साल में लेंगे नो शॉपिंग चैलेंज, जानिए क्यों बढ़ रहा है इसका ट्रेंड

चलो कुछ खरीदते हैं..ये प्लान तो अक्सर बनाए जाते हैं। लेकिन कितना अच्छा हो अगर ये प्लान बनाया जाए कि अब कुछ नहीं खरीदेंगे। एक तय अवधि के लिए खरीदारी से दूर रहना हमारी जेब के लिए तो अच्छा साबित होगा ही, पर्यावरण की सेहत को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा। आजकल कई लोग इस बात को समझ रहे हैं कि बिना ज़रूरत के अनाप-शनाप शॉपिंग से बचना चाहिए और जितना संभव को कम से कम चीजें जुटानी चाहिए। यही इस ट्रेंड का मूल मंत्र है।

Shruty Kushwaha
Published on -

No Shopping Challenge : नया साल आने को है और किसी खास मौके पर खरीदारी करना एक सामान्य ट्रेंड रहा है। लेकिन क्या हो अगर इस बार ‘नो शॉपिंग चैलेंज’ को अपनाया जाए। ये एक तरह का ट्रेंड है जिसमें लोग खरीदारी कम करने और पैसे बचाने की कोशिश करते हैं। इस तरह के चैलेंज में शामिल होकर लोग अपने खर्चों पर नियंत्रण रखते हैं और अनावश्यक खरीदारी से बचते हैं। नए साल में आप भी ऐसा कुछ नया कर सकते हैं, जिससे पैसों की बचत भी हो और वस्तुओं के व्यर्थ जमावड़े से भी बचा जा सके।

आज के समय में जब ऑनलाइन शॉपिंग का बाजार बढ़ता जा रहा है, तब “नो शॉपिंग चैलेंज” एक नया ट्रेंड बनकर उभरा है। यह चैलेंज उन लोगों के लिए है जो अपनी खरीदारी की आदतों को नियंत्रित करना चाहते हैं, पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं या फिर आर्थिक रूप से सजग रहना चाहते हैं।

क्या है No Shopping Challenge

नो शॉपिंग चैलेंज एक व्यक्तिगत चुनौती है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के एक निश्चित समय तक खरीदारी से बचने की कोशिश करता है। इसका उद्देश्य न सिर्फ व्यक्तिगत खर्चों को नियंत्रित करना होता है, बल्कि यह एक मानसिकता को भी चुनौती देता है जिसमें हम ये सोच पाएं कि क्या हम सच में उन चीजों को खरीदने की जरूरत है, जो हम खरीदना चाह रहे हैं। इस चैलेंज में खरीदारी को लेकर कुछ नियम होते हैं..जैसे कि किसी विशेष वस्तु को खरीदने से बचना या एक टाइम ड्यूरेशन के दौरान खरीदारी से पूरी तरह से बचना।

क्यों बढ़ रहा है नो शॉपिंग चैलेंज का ट्रेंड

आज के समय में महंगाई बढ़ने के साथ लोग अपनी खरीदारी की आदतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस चैलेंज के माध्यम से लोग अपनी बचत को बढ़ा सकते हैं और गैर-जरूरी खर्चों से बच सकते हैं। लगातार बढ़ती उपभोक्ता संस्कृति और उसके कारण बढ़ते वेस्ट से होने वाला पर्यावरण संकट भी एक बड़ा कारण बन चुका है। जब लोग अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हैं और यह महसूस करते हैं कि वे बिना कुछ खरीदे भी खुश रह सकते हैं।

कई लोग आजकल की भागमभाग वाली जिंदगी में साधारण जीवन जीने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। नो शॉपिंग चैलेंज इस साधारण जीवन के विचार को अपनाने में मदद करता है और भौतिकवाद से दूरी बनाता है। सोशल मीडिया ने भी इस आईडिया को लोकप्रिय बनाने में मदद की है। कई लोग अपनी यात्रा, विचार और अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करते हैं, जिससे दूसरों को भी इस चैलेंज को अपनाने का प्रेरणा मिलती है।

इस तरह लें नए साल में ‘नो शॉपिंग चैलेंज’ 

नए साल की शुरुआत एक अच्छे लक्ष्य को अपनाने का समय होता है और नो शॉपिंग चैलेंज को एक मजबूत संकल्प के रूप में लिया जा सकता है। इस चैलेंज को अपनाने के लिए कुछ कदमों का पालन किया जा सकता है:

1. सपोर्ट सिस्टम बनाएं : यह चैलेंज अकेले लेना कठिन हो सकता है, खासकर जब आसपास खरीदारी के ढेर मौके और प्रलोभन होते हैं। ऐसे में आप अपने दोस्तों या परिवार के साथ इस चैलेंज को शुरू कर सकते हैं, जिससे एक दूसरे को प्रेरित किया जा सके।

2. स्पष्ट लक्ष्य तय करें : यह स्पष्ट तय करें कि आप कितने समय तक और किस तरह की चीजों को खरीदने से बचेंगे। क्या यह एक महीना होगा..या दो महीने या इससे ज्यादा। क्या आप सिर्फ गैर-जरूरी वस्तुओं को खरीदने से बचने का लक्ष्य रखेंगे या इसमें कुछ अन्य चीजें भी होंगी।

3. आवश्यकताओं को प्राथमिकता दें : इस चैलेंज के दौरान उन चीजों को प्राथमिकता दें जो आपकी जरूरत की हैं। इसे एक साधारण जीवन जीने के रूप में देख सकते हैं, जहां सिर्फ आवश्यक वस्तुएं ही खरीदी जाती हैं।

4. पैसे बचाने का लक्ष्य रखें : नो शॉपिंग चैलेंज को आर्थिक उद्देश्यों से भी जोड़ा जा सकता है। आप देख सकते हैं कि खरीदारी न कर कितना पैसा बचा सकते हैं और उस पैसे का कैसे सदुपयोग कर सकते हैं। जब हम देखेंगे कि हमारे पैसों की बचत हो रही है तो इस ओर रूझान और बढ़ेगा।

5. खरीदारी के लिए वैकल्पिक तरीके अपनाएं : इस चैलेंज की अवधि के दौरान आप पुराने कपड़े पहन सकते हैं, पुराने बैग और अन्य वस्तुओं को दुबारा उपयोग में ला सकते हैं या इको-फ्रेंडली विकल्पों को अपनाने की ओर जा सकते हैं।


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News