सर्दी में भाए चूल्हे पर सिकी रोटी, पर भूलकर भी ऐसे न सुलगाएं चूल्हे की आग

Atul Saxena
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। सर्दियों के मौसम में चूल्हे पर सिकी रोटियों (Chulhe ki roti) की बात ही कुछ और है। एक तो चूल्हे की आंच का सौंधापन रोटियों का स्वाद बढ़ा देता है, दूसरा ठंडक के बीच चूल्हे की गर्माहट खाने का मजा दोगुना कर देती है। हालांकि जब से घरों से चूल्हे नदारद हुए हैं तब से सबसे ज्यादा एक ही मुश्किल सामने आती है कि चूल्हा जलाएं कैसे(How to lit Chulha) ? शहरों में लकड़ी आसानी से नहीं मिलती, कोयला या कंडे जुटाने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है, ऐसे  में अक्सर चूल्हा सुलगाने में ऐसी गलतियां हो जाती हैं जो या तो सेहत पर भारी पड़ती हैं या स्वाद खराब करती हैं।  खासतौर से चूल्हे पर रोटियां सेंकने वाले की सेहत पर भी विपरीत असर डालती हैं।  इसलिए जरूरी है य जान लेना कि चूल्हा सुलगाते समय क्या सावधानियां बरती जाएं ?

पॉलिथीन न जलाएं

वैसे तो चूल्हा सुलगाने के लिए कोयला या कंडों का उपयोग किया जा सकता है पर जल्दी की खातिर या जानकारी के अभाव में कभी कभी कुछ लोग पॉलिथीन का उपयोग भी करते हैं। इससे धुआं तो तेजी से हो सकता है पर यही धुआं सेहत पर खराब असर भी डाल सकता है।  पॉलिथीन के धुएं के विषैले तत्व आंटे के गुणों पर तो असर पड़ेगा ही रोटी सेंकने वाले और चूल्हे के आसपास बैठे तमाम लोग उस दूषित हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होंगे। इसलिए जब भी चूल्हा सुलगाएं पॉलिथीन जलाने की गलती न करें।

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पुराने कपड़े न जलाएं

जल्दबाजी के चक्कर में पुराने मोटे कपड़े जलाकर चूल्हा सुलगाने की कोशिश भी न करें।  इससे आग बहुत तेजी से लगती है। शहरों के घर आमतौर पर सामान से भरे होते हैं ऐसे में जरा सी चूक या लापरवाही किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है।

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टायर न जलाएं

देर तक आग जलाने के लिए टायर का टुकड़ा सुलगाने का विचार भी बड़ी गलती साबित हो सकता है। पहली बात तो टायर जलने से हवा दूषित है जिसमें सांस लेना ही नुकसानदायी है, इसके अलावा उससे आने वाली बदबू से भी खाने का सौंधापन बरबाद हो सकता है।  अस्थमा, आंखों में जलन और सांस से जुड़ी हुई कई तकलीफें इसके धुएं से हो सकती हैं।

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पुराने पत्ते न जलाएं

पुराने सूखे पत्ते जलाकर भी चूल्हा सुलगाने की कोशिश होती है पर, याद रखें हर पत्ते से उठने वाला धुआं फायदेमंद नहीं होता, कुछ पत्तों से उठने वाला धुआं आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।  इसलिए पुराने और सूखे पत्तों को जलाने से भी बचें।

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अपने कपड़ों पर भी दें ध्यान

चूल्हा सुलगाते समय अगर आपने भी ऐसे कपड़े पहने हैं जो जल्दी आग पकड़ते हैं तो आप भी सावधान रहें। कोशिश करें कि आप खुद ऐसे कपड़े पहने जिसमें सुरक्षित रहें। आपके कपड़े ज्यादा ढीले न हों जिनकी अनदेखी किसी हादसे की वजह बन जाए।  चूल्हे के आसपास काम करते समय भी पूरी सावधानी बरतें।

यानि आप हम इतना कहना चाहते हैं कि आप पारम्परिक रसोई का आनंद ले और चूल्हे की सौंधी स्वाद वाली रोटियां खाएं लेकिन सावधानी के साथ। क्योंकि चूल्हे की रोटियों में स्वाद और पौष्टिकता दोनों होती हैं इसलिए ऊपर दी गई बातों का ध्यान रखते हुए रोटी का स्वाद बढ़ाएं और सेहतमंद रहें।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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