भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज भी हमारे समाज में माहवारी (menstruation) को लेकर कई भ्रांतियां हैं। मासिक धर्म के समय अक्सर ही लड़कियों-महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन कभी संकोच तो कभी शर्म के कारण वो इसे किसी से कहती नहीं। मगर स्वास्थ्य की दृष्टि से ये संकोच काफी महंगा पड़ सकता है। इसीलिये जरूरी है कि लड़कियां इस विषय में खुलकर बात करें और अपने अनुभव बांटे।
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माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियां
माहवारी एक जैववैज्ञानिक प्रक्रिया (biological process) है। सामान्यतया 11-12 साल की उम्र में लड़कियों के पीरियड्स शुरू होते हैं। सामान्यतया 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर पीरियड्स (periods) आते हैं और 4-5 दिन तक प्राकृतिक रक्तस्राव होता है। संसार में जीवन चक्र को चलाने और प्रजनन के लिए ये अनिवार्य क्रिया है। माहवारी के दौरान अलग अलग लड़कियों को अलग तरह की परेशानियां होती हैं जिनमें सबसे पहली है दर्द की। इसमें पेट के निचले हिस्से में ऐंठनभरा दर्द होता है। किसी को कम किसी को ज्यादा दर्द हो सकता है।
इसके अलावा एक बड़ी परेशानी है पीएमएस (PMS) की। ये पीरियड्स से पहले की स्थिति है। पीएमएस का संबंध माहवारी चक्र से है होता है। अक्सर ये लक्षण पीरियड्स शुरू होने कुछ दिन पहले शुरू हो जाते हैं। इनमें सिर दर्द, पैरों में सूजन, पेट में मरोड़, उल्टी की इच्छा, पीठ दर्द, स्तनों में दर्द जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा भारी रक्तस्त्राव भी एक बड़ी परेशानी है। इसमें महिलाओं को कमजोरी महसूस होना और चक्कर आने जैसी समस्याएंं होती हैं। अनिमित माहवारी भी एक बड़ी परेशानी है।
डॉक्टर की सहायता लें, खूब आराम करें
पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं को नजरअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। ये लंबे समय तक चलने वाला चक्र है इसलिए अपनी परेशानियों के निदान के लिए डॉक्टर की सहायता लें। क्योंकि हर महिला को अलग अलग तरह की परेशानियां होती हैं, इसलिए इनका कोई एक उपचार नहीं हो सकता। आपके डॉक्टर ही आपको सबसे सही सलाह दे सकते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर इन दिनों में महिलाओं को भरपूर आराम करना चाहिए और किसी भी तरह के भारी काम से बचना चाहिए। खाने पीने का विशेष तौर पर ध्यान रखें और साफ सफाई पर भी ज़ोर दें। हार्मोनल बदलाव के कारण कई बार चिड़चिड़ाहट और गुस्सा आने की शिकायतें भी देखी गई है। ऐसे में परिवारजनों को भी महिलाओं को भावनात्मक संबल देना चाहिए।