MP News : एक बार फिर विवादों में घिरे बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री, जानें क्या कहा

Amit Sengar
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MP News : बागेश्वर धाम के पं. धीरेन्द्र शास्त्री परसवाड़ा के भादुकोटा में रामकथा सुनाएंगे। उन्होंने यहां आने से पहले एक वीडियो जारी किया है। 30 सेकंड के वीडियो में पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने बालाघाट में वनवासी रामकथा के आयोजन को लेकर बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों को कथा सुनाएंगे। इसको लेकर पूर्व विधायक दरबूसिंह उईके विरोध में खड़े हो गए हैं। इस वीडियो के साथ 17 मई को बागेश्वर धाम पीठाधीश पं. धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ, आदिवासियों के अपमान को लेकर मामला दर्ज कराने पूर्व विधायक दरबूसिंह उईके ने पुलिस में शिकायत करते हुए कहा कि हम उनके आगमन का विरोध नहीं करते लेकिन आदिवासियों का अपमान कर पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दिया है और वह लगातार एक ही समाज को टारगेट कर रहे है, जो ठीक नहीं है। उनके जंगल में रहने वाले आदिवासी से क्या अभिप्राय है, आज आदिवासी ना केवल उच्च शिक्षित है बल्कि देश के सर्वमान्य पदो को सुशोभित कर रहे है, देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रोपद्री मुर्म, राज्यपाल मंगलूभाई पटेल और वन मंत्री कुंवर विजयशाह भी आदिवासी समाज से आते है। हमारी मांग है कि आदिवासियों को जंगल में रहने वाला बताने वाले पं. धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ मामला दर्ज किया जाये।

बता दें कि पहले बागेश्वर धाम पं. धीरेन्द्र शास्त्री बालाघाट में वनवासी रामकथा आयोजन को लेकर जारी किये गये 30 सेकंड के वीडियो में उन्होंने क्या कहा है फिर वही से जायेंगे बालाघाट, बालाघाट में वनवासी रामकथा, जंगल में रहने वाले आदिवासी भाईयों को फ्री में उनके बिना किसी खर्च के, बागेश्वर धाम के शिष्य मंडल हमारे वहां के प्रिय नानो कावरेजी जो मिनिस्टर है, उनके निमित यजमान बनाकर जंगल में जाकर हम दो दिन की हनुमान कथा सुनायेंगे। जिस वीडियो के वायरल होने के बाद आदिवासी नेता और पूर्व विधायक दरबूसिंह उईके ने, पं. धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ इसे आदिवासियों का अपमान बताकर अपराध दर्ज करने की मांग की है, वहीं शिकायत पुलिस थाना परसवाड़ा में की है।

परसवाड़ा के पूर्व विधायक दरबूसिंह उइके ने कहा कि सोशल मीडिया पर कथावाचक पं. धीरेन्द्र शास्त्री के वायरल वीडियो में वे कहते दिखाई दे रहे है कि यहां से बालाघाट जायेंगे और वहां के जंगल मे रहने वाले आदिवासी को हनुमान कथा सुनायेंगे। जिसमें जंगल में रहने वाले आदिवासी कहकर पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने समूचा आदिवासी समाज को अपमानित किया हैं। जिससे वे स्वयं आहत महसूस कर रहे है।

पूर्व विधायक दरबूसिंह उइके ने कहा आदिवासी समुदाय के लोग अच्छे-अच्छे पदों पर पदस्थ हैं विधायक, सांसद, मंत्री हैं कुंवर विजय शाह, मध्य प्रदेश शासन के वनमंत्री हैं, मध्यप्रदेश में मंगूभाई पटेलजी राज्यपाल हैं, द्रौपदी मुर्मू जी राष्ट्रपति हैं, ऐसी परिस्थिति में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जंगल के आदिवासी कहकर भारत भर के आदिवासियों का अपमान किया है। उन्हें गांव में रहने वाले आदिवासी कहना चाहिए था, या भारत में रहने वाले आदिवासी कहना था, परंतु उनके द्वारा इस तरह का संबोधन करना समूचे आदिवासी समुदाय को नीचा दिखाना है, आहत करना है अपमानित भरे शब्दों का प्रयोग कर करना है। यह पं. धीरेंद्र शास्त्री का व्यवहार है, वह आये दिन सुर्खियों मे बने रहने के लिये विवादित बयान देते हैं। जबकि आदिवासी एक संस्कृति है, संस्कार है, भारतीय संस्कृति की पहचान है। उनकी संस्कृति को बनायें रखें, सामंजस्य और भाईचारा बनाये। किसी के खिलाफ अपमानजनक बात ना कहें, अगर उन्हें परसवाड़ा क्षेत्र में आना है तो सभी समुदाय के लोग यहां रहते हैं, सभी के लिए बात करें। हम उन्हें मना नहीं करते परंतु एक ही समुदाय को टारगेट करके चलना ऐसी हरकतें करना उनकी ओछी मानसिकता का को प्रदर्शित करता है। उन्होंने आदिवासियों का अपमान किया है, जिनके खिलाफ हमने शिकायत की है, जिन पर एफआईआर दर्ज होना चाहिये।

जिले में बागेश्वर धाम के पीठाधीश पं. धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर पहले से ही कलार समाज और आदिवासी समाज आंदोलित है और विरोध में खड़ा है। जहां गत दिवस कलार समाज ने भगवान सहस्त्रबाहु के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी पर रैली निकालकर उनका विरोध दर्ज किया और उनके फ्लेक्स में आग लगा दी। वहीं आदिवासी समाज, वनवासी शब्द को लेकर ही पहले से ही विरोध कर रहा है और अब जंगल में रहने वाले आदिवासी का बयान जिले में आने वाले पं. धीरेन्द्र शास्त्री के लिए मुश्किले पैदा कर सकता है।
बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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