बालाघाट, सुनील कोरे । मप्र (MP) में कोरोना (Corona) के संक्रमण क साथ-साथ ब्लैक फंगस (Black fungus) यानि म्यूकोरमाइकोसिस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। कोविड से रिकवर हो चुके लोगों को ब्लैक फंगस की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण नाक के माध्यम से होने वाली इस बीमारी का जहां महंगा ईलाज है, वहीं इससे मौत के मामले भी सामने आ रहे है। नाक के माध्यम से प्रवेश करने वाली इस बीमारी का सीधा असर आंखों पर पड़ता है, फिर यह बढ़कर दिमाग तक पहुंचती है। समय पर ईलाज नहीं मिलने से इससे पीड़ित मरीज की जान तक जा सकती है। अब तक यह बीमारी महानगरों में ही सामने आई थी, लेकिन 19 मई को बालाघाट (Balaghat) जिले में ब्लैक फंगस का एक पहला मामला सामने आया था। जिसकी बुधवार रात कोविड अस्पताल में मौत हो गई।
यह भी पढ़ें…मास्क न पहनने पर महिला की पिटाई का मामला, राज्य महिला आयोग ने की निंदा
4 दिन में हो गई मौत
जानकारी के अनुसार लांजी क्षेत्र के आये एक मरीज का पहला प्रकरण जिला स्वास्थ्य विभाग के पास आया था,15 मई को कोविड के कारण मरीज को गोंदिया के जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। जहां मरीज को ब्लैक फंगस की पहचान होने पर उसे नागपुर ले जाने की सलाह दी गई थी। परिजन मरीज को वहां न ले जाकर लांजी अस्पताल लेकर आये थे। जिसके बाद मरीज को बालाघाट कोविड अस्पताल लाया गया था। जहां उसकी मौत हो गई। मजह चार दिन में कोविड बीमारी से पीड़ित की ब्लैक फंगस से मौत होने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे है। चूंकि इसका ईलाज महंगा होने के साथ इसकी दवाओं को लेकर भी अभी पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
बीएमओ से मांगी गई मृतक मरीज की जानकारी
चार दिनो में कोविड के बाद ब्लैक फंगस होने से मरीज मौत के बाद अब अस्पताल प्रबंधन ने मरीज की जानकारी को लेकर बीएमओ से रिपोर्ट मांगी है। चूंकि मरीज के पास इससे पहले की जांच के कोई कागजी जानकारी नहीं होने से अभी चिकित्सक भी कोई राय नहीं दे पा रहे है। हालांकि संभावना जताई जा रही है कि कोविड की पहचान के पूर्व बुखार आने के दौरान मरीज ने कहीं ईलाज कराया होगा और कोई दवा खाई होगी। बहरहाल स्वास्थ्य प्रबंधन ने बीमएओ लांजी को मरीज की जानकारी लेने के लिए निर्देशित किया है।
यह भी पढ़ें…तुलसी सिलावट ने दी सफाई, कहा- ‘किसी भी जांच के लिये तैयार’
वहीं इस मामले में बालाघाट के जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अजय जैन का कहना है कि कोविड ईलाज के दौरान ब्लैक फंगस से पीड़ित बिसोनी ग्राम के 31 वर्षीय व्यक्ति को 19 मई की रात्रि गोंगलई कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था। जहां उसकी मौत हो गई है। जिसका प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया है। यह जिले का पहला मामला है, चूंकि मरीज के साथ किसी परिजन और ईलाज से संबंधित कागजी दस्तावेज नहीं होने से मरीज की बीमारी की जानकारी को लेकर बीएमओ को निर्देशित किया गया है, कि वह इसकी जानकारी प्रदान करें। मरीज के आंख, नाक और चेहरे में इंफेक्शन था।
जानकारों की मानें तो इस फंगल का खतरा लो इम्यूनिटी वालों को सबसे अधिक है। म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है। आमतौर पर यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है। जो धीरे-धीरे आंखो तक फैलता है। लांजी क्षेत्र के ग्राम बिसोनी निवासी 31 वर्षीय युवक को 15 मई को कोविड हुआ था, जिसके बाद वह गोंदिया के एक निजी अस्पताल में भर्ती था। इस दौरान ही वहां उसे ब्लैक फंगस होने के कारण उसे नागपुर में ईलाज कराने की सलाह निजी चिकित्सालय द्वारा दी गई थी। संभवतः आर्थिक हालत के कारण वह नागपुर नहीं जा सका। जिसके बाद 19 मई की रात उसे लांजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां मरीज में ब्लैक फंगस होने से उसे जिला चिकित्सालय रिफर कर दिया गया था। बालाघाट पहुंचे मरीज को गोंगलई कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसकी रात में मौत हो गई। स्वास्थ्य प्रबंधन ने कोविड के बाद ब्लैक फंगस से पीड़ित शेषराम कुचलाहे की मौत के बाद उसका प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया।