भोपाल। किताबी ज्ञान और महज पास होने के लिए पढ़ाई का दौर अब बहुत पीछे छूट चुका है। अब जमाना प्रतिस्पर्धा का है और मैदान में वही ज्यादा देर तक टिक सकता है, जो नंबरों की स्कोरिंग पर ज्यादा फोकस करेगा। नंबरों की तादाद ही उसके लिए आगे के रास्ते आसान करने का काम कर सकते हैं। यह भी जरूरी नहीं है कि महज अंकों के खेल में जुटे रहने से सबकुछ हो जाएगा, लेकिन बहुत कुछ अब इससे ही होने के हालात बन गए हैं। नंबरों और किताबी ज्ञान के साथ इस बात का ख्याल भी रखा जाए कि हमें समाज में हो रहे घटनाक्रम, फेरबदल और ताजा हालात की भी जानकारी हो।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की धर्मपत्नी और वरिष्ठ पत्रकार अमृता सिंह ने यह बात कही। वे सोमवार को गांधी भवन में एसोसिएशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स और एएफएमआई के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम के दौरान दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली, एएफएमआई के नाकेदार, सामाजिक संस्था एक्ट8 की अध्यक्ष सारिका सिन्हा, असलम अब्दुल्लाह, फरहान अंसारी आदि ने भी शिक्षा को लेकर अपनी बात रखी। इस मौके पर वक्ताओं ने दिल्ली जेएनयू में रविवार को हुए हमले को लेकर भी विरोध दर्ज कराया। उन्होंने इस मामले को शिक्षा के मंदिर में होने वाली अराजकता करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की। वक्ताओं ने इस मामले की न्यायायिक जांच करवाकर इसके दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग भी की। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स के औवेस अरब ने कार्यक्रम का मकसद बताया और मेहमानों का स्वागत किया। इस मौके पर शहर के उन प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र और नगद पुरस्कार से सम्मान भी किया गया, जिन्होंने 10वी और 12वीं की परीक्षा में उच्चांक हासिल किए हैं।