भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले बैतूल से बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे बड़ा झटका लगा है। आदिवासी कार्य विभाग की छानबीन समिति के आदेश पर बैतूल जिला प्रशासन ने धुर्वे का गोंड जाति का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि ज्योति धुर्वे पुत्री महादेव दशरथ की जाति बिसेन है, जो मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित नहीं है।साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए यह जानकारी संसदीय कार्य विभाग को भेज दी है।यह आदेश जनजातीय विभाग की आयुक्त दीपाली रस्तोगी की तरफ से जारी किया गया है।
जनजातीय विभाग की आयुक्त दीपाली रस्तोगी की तरफ से जारी एक आदेश में कहा गया है कि ज्योति धुर्वे की जाति गोंड नहीं है, वे बिसेन (पवार) हैं, जो आदिवासी जाति नहीं है। छानबीन समिति ने कहा कि धुर्वे की मां की जाति गोंड है, लेकिन उनके पिता महादेव बिसेन जाति से हैं। ऐसे में पिता की जाति को ही उनकी जाति माना जाएगा।लोकसभा चुनाव से पहले इस आदेश ने धुर्वे की मुश्किलें बढ़ा दी है। इससे धुर्वे की लोकसभा की सदस्यता खतरे में आ सकती है।छानबीन समिति के फैसले पर चुनाव आयोग संज्ञान लेकर राष्ट्रपति से उनकी सदस्यता शून्य घोषित करने की सिफारिश कर सकता है। हालांकि ऐसा होने पर भी बैतूल लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा, क्योंकि दो महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं।
धुर्वे के लिए खुला है अभी ये रास्ता
विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी के मुताबिक अभी ज्योति धुर्वे के पास छानबीन समिति के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने का विकल्प खुला है। यदि हाईकोर्ट से वे स्टे ले लेती हैं तो उनकी संसद सदस्यता खतरे में नहीं पड़ेगी। हाईकोर्ट में पहले से ही इस मामले में केस चल रहा है।वही अधिकारियों के मुताबिक सांसद पर कूटरचित दस्तावेज बनवाने का मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
गौरतलब है कि सांसद ज्योति धुर्वे की जाति को लेकर पिछले दस साल से विवाद की स्थिति चल रही थी। धुर्वे का जाति प्रमाणपत्र भैंसदेही में बना था। बालाघाट के तिरोड़ी गांव में उनका जन्म हुआ था जबकि प्राथमिक पढ़ाई रायपुर में हुई। सबसे पहले उन्होंने रायपुर से जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। विवाह के बाद बैतूल के प्रेम सिंह धुर्वे से विवाह कर पति की जाति के आधार पर भैंसदेही से एससी का प्रमाणपत्र बनवाया। उन्होंने अपनी पति की जाति के आधार पर अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाया जबकि यह पिता की जाति के आधार पर बनता है। इस संबंध में हाल ही में हाई पॉवर छानबीन समिति ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती से जानकारी तलब की थी। इसके बाद दो टीमें रायपुर, बैतूल और बालाघाट रवाना कर दी गईं थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने उनके प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया है।