Operation Administration! मोहन को अभी बड़ी सर्जरी करने की जरूरत

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Mohan Yadav’s New Principal Secretary : मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार देर रात अपने प्रमुख सचिव को हटाकर नए प्रमुख सचिव की नियुक्ति कर दी है। अब मनीष रस्तोगी के स्थान पर राघवेंद्र सिंह मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव होंगे। लेकिन प्रशासन पर नियंत्रण मजबूत करने के लिए अभी मुख्यमंत्री को एक बड़ी सर्जरी करने की जरूरत है क्योंकि सालों से कई अधिकारी शिवराज सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे हैं और कई अधिकारी बेहतर पदस्थापना की प्रतीक्षा में हताश और निराश हो चले हैं।

उपेक्षित अधिकारियों में जगी आस

शुक्रवार को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी की इस पद से विदाई हो गई। पिछले साढ़े तीन साल से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य कर रहे मनीष रस्तोगी के स्थान पर 1997 बैच के आईएएस अधिकारी राघवेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री का नया प्रमुख सचिव बनाया गया है। शहडोल, सीहोर और इंदौर जैसे जिलों के कलेक्टर, इंदौर के संभाग आयुक्त, वाणिज्य कर आयुक्त, जनसंपर्क आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके राघवेंद्र सिंह विनम्र और साफ छवि के अधिकारी के रूप जाने जाते हैं। हैरत की बात यह है कि शिवराज जैसे संवेदनशील मुख्यमंत्री के रहते हुए पिछले साढ़े तीन साल में मुख्यमंत्री कार्यालय में आम आदमी की तो दूर कुछ एक चुनिंदा अधिकारियों के अलावा किसी भी अधिकारी-कर्मचारियों के लिए भी प्रवेश पाना दुर्लभ दर्शन जैसा हो गया था। इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव रहते हुए जिस तरह से चुनिंदा अधिकारियों के बीच पदों की बंदरबांट हुई, उससे आहत होकर कई आला अधिकारियों ने तो मध्य प्रदेश छोड़ दिल्ली में पदस्थापना ले ली और कई अभी भी उपेक्षित और आहत महसूस कर रहे हैं। हैरत की बात यह भी रही कि कई बेहतरीन अधिकारी तो वर्षों से लूप लाइन में डले रहे और कई ऐसे अधिकारी थे जो एक-एक नहीं बल्कि तीन-तीन महत्वपूर्ण पदों पर बिठा दिए गए। इनकी योग्यता, काबिलियत नहीं बल्कि हुजूर के दरबार में समर्पण और वफादारी होना था।

आवाज़ उठाने पर हुए अधिकारी लूप लाइन

हैरत और हद तो तब हुई जब आजीविका मिशन जैसे भ्रष्टाचार की आवाज उठाने वाली एक महिला आईएएस अधिकारी को इसकी सजा लूप लाइन पदस्थापना के रूप में भुगतनी पड़ी। भ्रष्टाचार का ऐसा तांडव मचाया कि सरेआम आयुष्मान योजना में गड़बड़ी के प्रमाण और वीडियो सामने आने के बाद भी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई तो दूर, उन्हें बेहतर पदस्थापना दे दी गई। मध्य प्रदेश के अपने इतिहास में शायद ब्यूरोक्रेसी का ऐसा दुरुपयोग कभी नहीं देखा गया जैसा पिछले कुछ चंद वर्षों में हुआ।

प्रदेश में सफल प्रशासनिक सर्जरी की जरूरत

अब मोहन यादव के सामने एक सिरे से पूरी ब्यूरोक्रेसी में आमूलचूल परिवर्तन बड़ी चुनौती है। ब्यूरोक्रेसी में बने हुए सुविधाभोगी को तहस-नहस करके ही मोहन यादव अपने आप को एक सफल मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। साथ ही मध्य प्रदेश में उपेक्षित और हाशिये पर पड़ा ईमानदार आईएएस आईपीएस अधिकारियों का एक वर्ग ऐसा भी है जो प्रदेश के विकास में नई इबारत लिखने में अपना कंधे से कंधा मिलाकर योगदान देने के लिए तैयार है। बस उसे जरूरत है मुख्यमंत्री का विश्वास पाने की और मुख्यमंत्री को भी जरूरत है एक सफल प्रशासनिक सर्जरी करने की ताकि वर्षों से मलाईदार पदों पर काबिज और व्यक्ति विशेष के प्रति वफादार हो चुके अधिकारी वर्ग से छुटकारा पाया जा सके।

इस खबर के लेखक mpbreakingnews.in के समूह संपादक वीरेंद्र शर्मा हैं।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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