भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा के एक दर्ज मंत्रियों पर हार का संकट मंडरा रहा है। ये मंत्री चुनाव हार भी सकते हैं। मतदान के बाद से ही भाजपा ने पूरे प्रदेश में सर्वे करवाया है। सूत्रों की माने तो सर्वे में एक दर्जन मंत्रियों के हार की आशंका जताई गई है। इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर तैयार करवाया गया है। इस रिपोर्ट ने भाजपा के दिग्गज नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं।
सूत्रों के मुताबिक शाह प्रदेश की सभी राजनीतिक गतिविधियों पर अपनी नजर बनाए हैं। उन्होंने मतदान से पहले दिल्ली में प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात भी की थी। और उन्हें मतदान के बाद एक सर्वे रिपोर्ट तैयार कराने के लिए निर्देश दिए थे। जिससे उम्मीदवारों की हार जीत की स्थिति का आंकलन कया जा सके। जिन मंत्रियों पर हार का ��तरा मंडरा रहा है उनमें भूपेंद्र सिंह, उमाशंकर गुप्ता, मलैया, रुस्तम सिंह तथा जयभान सिंह पवैया शामिल हैं।
इन मंत्रियों की राह भी आसान नहीं
उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया को ग्वालियर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रद्युमन सिंह तोमर कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जबलपुर उत्तर में मंत्री शरद जैन की राह में भाजपा के बागी धीरज पटेरिया ने कांटे बिछा रखे हैं। कांग्रेस के विनय सक्सेना के साथ जैन यहां त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। भोजपुर में इस बार सुरेंद्र पटवा के लिए कांग्रेस के सुरेश पचौरी ने उनके सामने परेशानी खड़ी कर दी है। भाजपा ने मंत्री ललिता यादव को मलहरा से चुनाव लड़ाया है। लेकिन उन्हें स्थानीय नेताओं का साथ नहीं मिलने से उनके सामने भी मुश्किल है।
इन मंत्रियों पर है हार का खतरा
दमोह से एक बार फिर चुनाव लड़ रहे जयंत मलैया पिछला चुनाव 4953 मतों के अंतर से जीते थे। इस बार त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे भाजपा के बागी पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने उनकी मुश्किल बढ़ा दी हैं। कांग्रेस के राहुल लोधी इन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। दूसरे, रुस्तम सिंह मुरैना से पिछले चुनाव में 1700 मतों के अंतर से जीते थे। इस बार यहां बसपा के दिमनी से विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया और कांग्रेस के रघुराज सिंह कंसाना उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भोपाल दक्षिण-पश्चिम से मंत्री उमा शंकर गुप्ता पिछला चुनाव 18 हजार वोटों के बड़े अंतर से जीते थे। इस बार कांग्रेस के पीसी शर्मा उनके सामने कड़ी टक्कर देते नर आ रहे हैं।
इन कारणों से डेंजर जोन में मंत्री
मंत्रियों के संकट में होने के कई कारण हैं। एक तो कई जगह भाजपा के बागियों ने इन मंत्रियों का संकट बढ़ाया है, तो कहीं इन पर एंटी इनकंबेंसी भारी पड़ रही है। कुछ स्थानों पर कांग्रेस के अलावा अन्य दलों ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाकर भाजपा के सामने संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी है। वहीं मतदाताओं की चुप्पी ने भाजपा की मुश्किल और बढ़ा रखी है। इन हालातों के चलते एक दर्जन मंत्रियों के साथ साथ पार्टी के बड़े नेताओं को भी मुश्किल का सामना करना पड़ा है।