महिला प्रिंसिपल के लहंगे का उड़ गया कलर, प्रोफेसर पति ने दिया ड्राई क्लीनर को नोटिस, पढ़ें पूरी खबर

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  एक महिला प्रिंसिपल (Lady Principal) ने ड्राई क्लीनर को अपना लहंगा चुन्नी ड्राई क्लीन के लिए दिया था लेकिन उसका कलर उड़ गया, ड्राई क्लीनर की गलती पर महिला के प्रोफ़ेसर पति ने ड्राई क्लीनर को लीगल नोटिस थमा दिया जिसके बाद ड्राई क्लीनर को लहंगे चुन्नी की पूरी कीमत चुकानी पड़ी। इस मामले को सुनने वाला चौंक रहा है, लेकिन ये मामला ग्राहक जागरूकता की नजीर भी बन रहा है।

आपको बता दें कि अवधपुरी भोपाल के रहने वाले प्रोफ़ेसर मनीष दुबे की पत्नी लता दुबे दमोह पॉलिटेक्निक में महिला प्रिंसिपल हैं। उन्होंने पत्नी के लिए महँगी कीमत का लहंगा चुन्नी ख़रीदा था, जिसे एक बार पहना गया था।  उन्होंने उसे कमला नगर स्थित साईं कृपा ड्राई क्लीनर को ड्राई क्लीन के लिए जुलाई में दिया था। जिसे ड्राई क्लीनर ने 15 दिन बाद वापस देने का कहा।

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जब प्रोफ़ेसर दुबे 15 दिन बाद लहंगा चुन्नी लेने गए तो उसका कलर ही बदल चुका था (Dry cleaner spoiled lehenga of lady principal) , उन्होंने इसकी शिकायत की तो दुकानदार ने गलती मानते हुए इसे कुछ दिन में ठीक करने की बात कही।  जब दुकानदार द्वारा दिए गए समय पर प्रोफ़ेसर दुबे पहुंचे तो ड्राई क्लीनर ने उन्हें फिर उन्हें कुछ दिन बाद का समय दिया।

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कई बार ऐसा होने पर प्रोफ़ेसर दुबे परेशान हो गए। उन्होंने अपने ग्राहक अधिकार का प्रयोग करते हुए अपने वकील दीपक बुंदेले के माध्यम से ड्राई क्लीनर को लीगल नोटिस (A professor gave legal notice to the dry cleaner) भिजवाया। नोटिस में उन्होंने लहंगा चुन्नी के पूरे पैसे चुकाने की बात कही साथ ही मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के बदले 5 लाख रुपये मुआवजा भी मांगा। नोटिस में कहा गया कि रुपये नहीं चुकाए तो क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी। नोटिस मिलते ही दुकानदार घबरा गया उसने लहंगा चुन्नी की पूरी कीमत 27,290/- प्रोफ़ेसर दुबे को दे दिए।

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सुनने में ये मामला थोड़ा अजीब लग रहा है लेकिन है बहुत महत्वपूर्ण और संजीदा। संजीदा इसलिए कि जब कोई व्यक्ति कोई चीज खरीदता है तो उससे उसकी फीलिंग्स जुडी होती हैं और जब उसे कोई ख़राब कर देता है तो भावनाएं आहत होती हैं। महत्वपूर्ण इसलिए कि ग्राहक को पता होना चाहिए कि उसके अधिकार क्या हैं? उसके नुकसान की भरपाई कैसे हो सकती है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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