भोपाल। लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद रविवार को कांग्रेस में बैठकों का लंबा दौर चला। दिन में मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक के बाद शाम को विधायक दल की बैठक हुई, जिसमे हार की समीक्षा की गई। इस दौरान बैठक में मुख्यमंत्री के सामने विधायकों का भी दर्द झलक पड़ा। विधायकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमसे ना तो मंत्री मिलते है और ना ही अफसर। हालांकि यह पहला मौका नही है। इससे पहले भी कुछ विधायक मंत्रियों की बेरुखी का मुद्दा उठा चुके है, लेकिन कोई सुनवाई नही हुई, हालात जस के तस बने रहे और कांग्रेस को फिर बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर सीएम के सामने मंत्रियों की शिकायत पहुंची है, सीएम ने सभी मंत्रियों को विधायकों से संपर्क में रहने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस विधायक दल की रविवार को हुई बैठक में सरकार की स्थिरता को लेकर चिंतन हुआ। बैठक में शामिल होने निर्दलीय, सपा, बसपा और कांग्रेस के विधायकों ने एकजुट होकर कहा कि हमें आप पर भरोसा है। आप चाहें तो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करा लें। राज्यपाल के यहां परेड के लिए भी हम तैयार हैं। कुछ विधायकों ने उनसे शिकायत की कि कुछ मंत्री उनका सहयोग नहीं कर रहे हैं। मंत्री उनसे मिलते नहीं हैं और जिले के अधिकारी भी उनके काम नहीं करते। तबादले के बाद जो अधिकारी पहुंचे हैं, उनका रवैया भी ठीक नहीं है।
विधायकों की इस शिकायत पर कमलनाथ ने मंत्रियों को निर्देश दिए कि वे प्रभार के जिले के विधायकों की चिंता करें। उनसे मिलें, समस्याएं सुनें और दूर करें उनके साथ मिल जुलकर विकास के काम करें। अधिकारियों को भी विधायकों के कामों को गंभीरता लेकर पूरे करने के निर्देश दें। जो काम मंत्री से नहीं हो रहे वो मेरे सामने लेकर आएं, मैं समस्याएं दूर करूंगा। बैठक में एक मंत्री को 4-5 विधायकों की जिम्मेदारी सौंपी गई, ये मंत्री उनसे निरंतर संवाद कर क्षेत्र की स्थिति और विकास कार्यों पर चर्चा करेंगे। वहीं बीजेपी मानसकिता वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ उचित ढ़ंग से निपटने को लेकर बैठक में मंथन हुआ है।
कर्जमाफी को लेकर अधिकारी पैदा कर रहे भ्रम की स्थिति
बैठक में कर्जमाफी के मुद्दें को लेकर भी चर्चा हुई। विधायक रामलाल मालवीय ने कहा कि कर्ज माफी को लेकर भी कोऑपरेटिव अधिकारियों ने भ्रम की स्थिति निर्मित की गई। जिन किसानों के कर्ज माफ हुए उनसे अधिकारियों ने कहा कि किसान नए सिरे से दस फीसदी अंश पूंजी जमा करें, तब आगे कर्ज दिया जाएगा। अधिकारी ये भी कह रहे हैं कि बिना ब्याज के कर्ज नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने तत्काल इस पर कार्रवाई करने की बात की। विधायकों ने भावांतर योजना ज���री रखने और बोनस देने की भी बात कही।
राजा-महाराजा में बंट गई पार्टी, जाएंगें तो बताकर जाएंगें
वरिष्ठ विधायक केपी सिंह ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस राजा, महाराजा और कमलनाथ की पार्टी में बंट गई है। यदि कांग्रेस में गुटबाजी से दूर करेंगे तभी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा होगा और सरकार भी बेहतर चलेगी। वही केपी सिंह ने मीडिया से कहा कि उन्हें मंत्री न बनने की पीड़ा है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, हम 20 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं, लेकिन हम पार्टी से धोखा नहीं करेंगे। जब भी जाएंगे बताकर जाएंगे।
अब तक नही बनाया मंत्री
बैठक में सरकार के प्रति विश्वास प्रस्ताव भी पारित किया गया। सभी विधायकों ने कहा कि फ्लोर टेस्ट में वे हमेशा सरकार के साथ हैं। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा कि उन्हें मंत्री बनाने का वादा पूरा नहीं हुआ है, उन्होंने मंत्री बनने की उम्मीद जताई। दो अन्य निर्दलीय विधायक केदार डाबर और विक्रम राणा ने भी कहा कि वे सरकार के साथ हैं। बसपा विधायक रामबाई ने कहा, कमलनाथ से बेहतर मुख्यमंत्री नहीं मिल सकता।