भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सरकार ने पहली क्लास से आठवीं क्लास तक के शासकीय स्कूलों की रैंकिंग (School rankings released) जारी की है। इसमें शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश के सभी 52 जिलों की रैंकिंग जारी की गई है। सर्कार जल्दी ही कक्षा 9वीं से 12वीं के लिए भी जिलों की रैंकिंग जारी की जायेगी। इसके लिए लोक शिक्षण द्वारा ग्रेडिंग पैरामीटर्स विकसित किए जा रहे हैं।
संचालक राज्य शिक्षा केंद्र धनराजू एस ने राज्य शिक्षा केंद्र के एजुकेशन पोर्टल पर कक्षा पहली से आठवीं तक की शासकीय शालाओं के लिए जिलों की रैंकिंग जारी की। रैंकिंग में पहला स्थान जिला छिंदवाड़ा ने 77.76 अंक प्राप्त कर ग्रेड A हासिल किया है। दूसरे स्थान पर बालाघाट और तीसरा स्थान नीमच को मिला है। इसी क्रम में सीहोर चौथे, नरसिंहपुर पांचवे, दमोह छठवें, बैतूल सातवें, शाजापुर आठवें, शहडोल नौवें और मुरैना दसवे स्थान पर आया है। रैंकिंग में आखिरी पायदान पर ग्रेड D के साथ 50वें स्थान पर रतलाम, 51वें स्थान पर गुना और आखिरी स्थान अलीराजपुर जिला है।
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प्रारंभिक शिक्षा की तर्ज पर ही कक्षा 9वीं से 12वीं के लिए भी जिलों की रैंकिंग जारी की जायेगी। इसके लिए लोक शिक्षण द्वारा ग्रेडिंग पैरामीटर्स विकसित किए जा रहे हैं। इस तरह इन दोनों रैंकिंग के आधार पर शिक्षा विभाग की समेकित रैंकिंग का आकलन किया जाएगा।
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उन्होने बताया कि जारी रैंकिंग में 7 प्रमुख घटकों के लिए शिक्षा विभाग की अपेक्षाओं के अनुरूप अंक निर्धारित किए गए है। नामांकन और ठहराव के लिए 21 अंक, सीखने के परिणाम और गुणवत्ता के लिए 21, शिक्षक व्यावसायिक विकास के लिए 10, समता के लिए 10, बुनियादी ढाँचा और सुविधा के लिए 13, शासन प्रक्रियाओं और वित्तीय प्रबंधन के लिए 20 और पढ़ना-लिखना अभियान के लिए 5 अंक निर्धारित किए गए है। इनमें माह की प्राथमिकता के अनुसार समसामायिक रूप से परिवर्तन किए जाते रहेंगे। इस तरह समग्र शिक्षा योजना में संचालित कार्यक्रम और गतिविधियों के साथ ही छात्रों के सीखने के प्रतिफल, शिक्षकों की क्षमता संवर्धन, शालाओं में उपलब्ध संसाधन और विभिन्न मूल्यांकनों में शालाओं के प्रदर्शन आदि को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन आधारित रैंकिंग तैयार की गई है।
रैंकिंग के 7 प्रमुख घटक
नामांकन और ठहराव घटक में पहली कक्षा में विद्यार्थी का एनरोलमेंट, कक्षा पाँचवीं से छठवीं में विद्यार्थी के प्रवेश का प्रतिशत और विद्यार्थी की शाला छोड़ने की दर को महत्व दिया गया है। सीखने के परिणाम और गुणवत्ता घटक में विद्यार्थियों का विद्यालय, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण और नेशनल मींस कम मेरिट स्कॉलरशिप में प्रदर्शन के साथ कक्षा पाँचवीं और आठवीं में “ए” और “ए प्लस” ग्रेड लाने वाले विद्यार्थियों के प्रतिशत को ध्यान में रखा गया है। समता घटक में समाज के कमजोर वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों का कक्षा पाँचवीं और आठवीं में प्रदर्शन के साथ दिव्यांग विद्यार्थियों के पहचान और प्रोफाइल अपडेशन, सुविधाएँ और प्रदर्शन को ध्यान में रखा गया है। इसी तरह बुनियादी ढाँचा और सुविधा में शालाओं में रैंप और बिजली की सुविधा, स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार में शालाओं का प्रतिशत और सिविल वर्क के पूर्ण करने को महत्व दिया है।
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शिक्षक व्यावसायिक विकास घटक में शिक्षकों का NISTHA FLN सर्टिफिकेशन में प्रतिशत और राज्य स्तरीय टीएलएम मेला में शिक्षकों की भागीदारी को ध्यान में रखा गया है। शासन प्रक्रियाओं और वित्तीय प्रबंधन घटक में सीएम हेल्पलाइन कंप्लेंट, सीआरसी और बीआरसी द्वारा विद्यालयों का निरीक्षण, कम नामांकन वाली शालाएँ और वित्तीय कुशलता का मापन किया जायेगा। इसी तरह पढ़ना-लिखना अभियान घटक में अभियान के तहत जिले में वॉलंटियर के रजिस्ट्रेशन और मूल्यांकन में नव साक्षर की सहभागिता का मूल्यांकन किया जायेगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर किया विकसित
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासकीय शालाओं की रैंकिंग प्रणाली विकसित करने और सीएम डैशबोर्ड में प्रदर्शित करने के निर्देश पर अमल करते हुए राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रावधिक रैंकिंग जारी की हैं। जिलों की रैंकिंग में शाला, विद्यार्थी, शिक्षक और प्रबंधन कार्य प्रमुख केंद्र रहे है। सभी जिला कलेक्टर्स से सुधारात्मक सुझाव एवं आपत्तियाँ प्राप्त की जायेंगी। जिलों से प्राप्त सुझावों एवं आपत्तियों के आधार पर आवश्यक संशोधनों के बाद अंतिम रूप से जिलों की रैंकिंग निर्धारित कर सीएम डैशबोर्ड पर प्रदर्शित की जायेगी।