MP News : शिवराज ने बच्चों को पिलाई “स्वर्ण प्राशन” की दो बूंद, पुष्य नक्षत्र से भी है संबंध

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने आज मंगलवार को भोपाल में सुपोषण अभियान के तहत “स्वर्ण प्राशन”  का शुभारम्भ किया।  उन्होंने आरोग्य भारती के भोपल स्थित केंद्रीय कार्यालय में बच्छों को “स्वर्ण प्राशन” की दो बूंद पिलाई। खास बात ये है कि आयुर्वेद की मान्यता है कि “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) में “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

मध्य प्रदेश से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए सरकार सुपोषण अभियान चला रही है, इस अभियान के तहत सरकार बच्चों के पोषण आहार पर विशेष ध्यान दे रही है , आंगनबाड़ियों तक में बच्चों के पोषण आहार को लेकर सरकार ने व्यवस्था की हुई है। आरोग्य भारती भी सरकार के इस काम में सहयोग कर रही है।

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आरोग्य भारती ने तुलसी नगर स्थित केंद्रीय कार्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें मुख्यमंत्री ने बच्चों को स्वर्ण रसायन की दो बूंद पिलाकर स्वर्ण प्राशन की शरुआत की।  उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ ऋषि मुनियों ने 16 संस्कार बताये हैं जिसमें स्वर्ण प्राशन बच्चों के पोषण के लिए महत्वपूर्ण हैं।  इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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पुष्य नक्षत्र से है स्वर्णप्राशन का संबंध

आपको बता दें कि ज्योतिष में “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) का बहुत महत्व बताया गया है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा गया है। खास बात ये है कि ज्योतिष की तरह ही आयुर्वेद में भी “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) का बहुत महत्व है। आयुर्वेद कहता है कि “पुष्य नक्षत्र” में बनी दवा और “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) में दवा का सेवन दोनों विशेष लाभकारी होते हैं। इसीलिए “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) वाले दिन “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा पिलाई जाती है। चूँकि आज मंगलवार को पुष्य नक्षत्र है इसलिए आज प्रदेश में बच्चों को “स्वर्ण प्राशन” दवा पिलाई जा रही है।

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गौरतलब है कि “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा स्वर्ण भस्म, मधु यानि शहद, औषधीय घृत (हर्बल घी) को मिलाकर तैयार की जाती है। “पुष्य नक्षत्र” वाले दिन इसे छह माह लेकर से 16 साल तक के बच्चों को पिलाया जाता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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