MP News : सोम डिस्टलरी मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग ने रायसेन कलेक्टर और एसपी को एक पत्र लिखा है, इस पत्र में दिए गए बिंदुओं पर आयोग ने 48 घंटे में जवाब मांगा है। इतना ही नहीं इस पत्र में आयोग ने संबंधित एसडीएम और पुलिस थाने को लेकर भी बेहद ही गंभीर टिप्पणी की हैं, आयोग ने उनके व्यवहार को गैर जिम्मेदार आना और गैर पेशेवर बताया है। इतना ही नहीं इस पत्र में आयोग ने जिला आबकारी प्रभारी द्वारा अनुचित व्यवहार कर फोन काटने की बात कही है।
क्या लिखा है राष्ट्रीय बाल आयोग ने इस पत्र में…
रायसेन जिला कलेक्टर और एसपी को लिखे गए इस पत्र में आयोग ने सबसे पहले फैक्ट्री में पाए गए सभी बच्चों का मेडिकल एग्जामिनेशन कराए जाने की बात कही है,
इसके बाद आयोग ने सवाल किया है कि आखिर क्यों अधिकारी द्वारा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के क्षेत्र 78 को एफआईआर में नहीं डलवाया गया, और उन अधिकारियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया जिन्होंने यह सेक्शन FIR में नहीं डलवाया।
इसके बाद आयोग ने फैक्ट्री प्रेमाइस से बच्चों के गायब होने को लेकर आईपीसी की उचित क्षेत्र के अंतर्गत FIR दर्ज करने की बात पत्र में लिखी है।
अपने पत्र में आयोग ने उन अधिकारियों को लेकर सवाल किया जिनकी मौजूदगी में रिस्क किए गए बच्चे गायब हुए थे। आयोग ने पूछा आखिर उन्नत कार्यों के खिलाफ क्या डिसीप्लिनरी एक्शन लिया गया।
बैक वेजेस और उचित मुआवजे को लेकर एमसी मेहता वर्सेस स्टेट ऑफ तमिलनाडु फॉर रिहैबिलिटेशन ऑफ चिल्ड्रन और बांडेड लेबर सिस्टम एक्ट (abolition) 1976 के तहत क्या एक्शन लिया गया इसको लेकर भी आयोग ने प्रशासन से इस पत्र में सवाल किया है।
इसके अलावा आयोग ने सभी 58 बच्चों की पूरी विस्तृत जानकारी उनकी SIR और ICP के साथ प्रशासन से मांगी है।
इतना ही नहीं आयोग ने इस पत्र में सोम हाई स्कूल की पूरी डिटेल जैसे स्कूल का रजिस्ट्रेशन, स्कूल का संबद्धिकरण, पिछले 5 साल में जिन भी बच्चों का स्कूल में एडमिशन किया गया उनकी इनरोलमेंट लिस्ट आदि की जानकारी प्रशासन से मांगी है। साथ ही दो बस MP-67P0209 & MP04PA1606, जिनसे बच्चों को सोम हाई स्कूल सेहतगंज रायसेन से फैक्ट्री लेकर जाया जाता था उन पर क्या कार्रवाई की गई यह सवाल भी आयोग ने प्रशासन से इस पत्र में किया है।
आयोग ने इस पूरे मामले में डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और CWC द्वारा जांच कराकर एक समर्थ प्राधिकारी द्वारा रिपोर्ट तैयार करने की बात इस पत्र में कही है, जिसमें यह बताया जाएगा कि इन 58 बच्चों में किसी के साथ यौन शोषण तो नहीं किया गया। यदि यौन शोषण नहीं किया गया तो कलेक्टर को सीआरपीसी एक्ट 2005 की धारा 14 के अनुसार एक एफिडेविट में इस बात को लिखकर देना होगा।
आपको बता दें राष्ट्रीय बाल आयोग ने अपने पत्र में कही गई बातों को लेकर उचित दस्तावेज और FIR के साथ क्या एक्शन लिया गया इस बात की रिपोर्ट को 48 घंटों के भीतर कमीशन को भेजने की बात कही है।
सोम डिस्टलरी का लाइसेंस सरकार ने किया सस्पेंड
आपको बता दें इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश सरकार पहले ही सोम डिक्शनरी का लाइसेंस सस्पेंड कर चुकी है। इस मामले में सीएम डॉ मोहन यादव ने साफ तौर पर यह स्पष्ट किया है कि अपराधी को सजा और पीड़ित को न्याय दिलाने में मध्य प्रदेश सरकार कभी भी पीछे नहीं रहेगी।