MP News : चयनित अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती 2018 प्रक्रिया को लेकर सीएम से की मुलाकात, जल्द पूरी करने की मांग

Amit Sengar
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MP News : शिक्षक भर्ती 2018 के पात्र अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने बुधनी पहुंचे परंतु यहां उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री के सुपुत्र कार्तिकेय, नरेंद्र तोमर,तथा भाटी से हुई।

गौरतलब है कि शिक्षक भर्ती 2018 को पूर्ण करने के लिए लंबे समय से चयनित पात्र अभ्यर्थी आंदोलन, प्रदर्शन,भूख हड़ताल आदि कर रहे हैं तथा पद वृऊ तृतीय काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं परंतु आज तक मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री तथा विभाग के आला अधिकारियों ने इस और ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब जब चुनाव आचार संहिता में मात्र 10 दिन रह गए हैं तब सिरे से अधिकारियों ने पल्ला झाड़ लिया है यह कहकर कि शिक्षक भर्ती 2018 पूर्ण हो चुकी है जबकि 28.8.2018 को निकले विज्ञापन के अनुसार 17 000 उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पद निकाले गए थे परंतु प्रथम काउंसलिंग के दौरान मात्र 8740 पदों को भरा गया। शेष रिक्त पदों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। क्योंकि ओबीसी तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत इस भर्ती को कोर्ट के अधीन पूर्ण किया जाना था परंतु विभाग ने अपनी मनमानी से ओबीसी 27% तथा कुछ विषयों में ओबीसी 14 प्रतिशत आरक्षण दिया साथ ही साथ ई डब्ल्यू एस के 10% पद रिक्त रखे गए जिसके कारण इस भर्ती के तमाम रिक्त पद कोर्ट के अधीन चले गए। अधिकारियों ने 29.9.2022 को फ्रेश विज्ञप्ति के नाम से एक विज्ञापन निकाला और अभ्यर्थियों की पात्रता अवधि 30 सितंबर 2022 तक बढ़ा दी गई जबकि परीक्षा की जनवरी 2019 में हो चुकी थी।

जबकि सवाल उठता है कि जब फार्म 2018 में भरे गए और परीक्षा 2019 में हो गई तब 29 सितम्बर 2022 के विज्ञापन के अनुसार किस योग्यता के आधार पर इन अभ्यर्थियों ने 2018 में फॉर्म भरें और परीक्षा दी?

क्या हमारे मध्य प्रदेश का सिस्टम इतना कमजोर है कि कोई अयोग्य व्यक्ति फॉर्म भर दे, परीक्षा दे ले और 4 साल बाद उसकी पात्रता अवधि बढ़ाकर उसकी योग्यता पूर्ण करने के बाद उसे नौकरी दी जाए। जबकि संबंधित परीक्षा की योग्यता
28.08.2018 अनुसार विज्ञापन निकालने की तिथि तक पूर्ण होनी चाहिए थी।

इन सारी संगतियों के चलते हजारों पात्र अभ्यर्थी जो 2019 की परीक्षा के अनुसार मेरिट होल्डर थे योग्यता अवधि बढ़ाने के कारण पीछे छूट गए और अपनी उस नौकरी को प्राप्त करने से वंचित रह गए जिसके लिए उन्होंने एक लंबा संघर्ष किया।

पहले तो विभाग की जिम्मेदार अधिकारी पालम टोली करते रहे परंतु जब उन्होंने अभ्यर्थियों का आक्रोश देखा तो सभी ने झूठ बोलना आरंभ कर दिया उन्होंने कहा कि आपका लिए ही कार्य किया जा रहा है शिक्षक भर्ती 2018 में पद वृद्धि की जा रही है और जल्दी ही आपको आने वाले समय में कोई नोटिफिकेशन देखने को मिलेगा परंतु आज दिनांक तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है और कल जब हमारे साथी भाई-बहन उनसे मिलने पहुंचे तो उन्होंने साफ हाथ खड़े कर दिए और कहा कि शिक्षक भर्ती 2018 पूरी तरह से समाप्त हो गई है।

अब जब चुनावी वर्ष में एक तरफ माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सभी वर्गों को साधने में लगे हैं ऐसे में शिक्षक भर्ती 2018 के पात्र उम्मीदवार कहीं ना कहीं अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि मामा सभी संगठनों की मांग को पूरा कर रहे हैं, परंतु आज भी शिक्षक भर्ती 2018 के अभ्यर्थी अपनी नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। मुख्यमंत्री से मिलने उनकी सभाओं में गुना, शिवपुरी,डिंडोरी, जबलपुर,रायसेन, सांची, विदिशा, बुधनी, नसरुल्लागंज के मंडी आदि क्षेत्रों में जा-जाकर माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। ऐसे हजारों ज्ञापन मुख्यमंत्री के हाथों में लाड़ली बहनों के द्वारा सीधे सौंपे गए हैं। बावजूद इसके सके सिवाय आश्वासन के आज तक कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ।

एक पार्टी विशेष का मुख्यमंत्री 18 साल तक मध्य प्रदेश में शासन करता है लेकिन शिक्षक भर्ती 2018 के पीड़ित पात्र अभ्यर्थियों के साथ 5 सालों में भी न्याय नहीं करें, तो यह अभ्यर्थी कहां जाएं , किसीसे गुहार लगाएं, किससे अपनी पीड़ा बताएं।

क्या प्रदेश के मुखिया होने के नाते इनका हमारे लिए कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता?

क्या जो पद इन्होंने निकले थे उतने पदों पर भर्ती करने की जिम्मेदारी उनकी नहीं थी?

यदि विभाग के द्वारा कोई विसंगति हो भी गई थी तो क्या उसका निपटारा करके अन्य पात्र विद्यार्थियों के साथ न्याय नहीं किया जा सकता था?

शिक्षक भर्ती 2018 का पात्र उम्मीदवार आज भी आशा भरी नजरों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर देख रहा है। एक ओर यह लाड़ली बहनों की लाडली भैया बनते हैं, दूसरी ओर यह मध्य प्रदेश के बेरोजगार भांजे-भांजियों के मामा बनते हैं। परंतु जब नौकरी देने की बात आती है तो सारी नौकरियां कागज में सिमट कर रह जाती है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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