भोपाल में युवा मनोचिकित्सकों का राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न, दूसरे दिन कई अहम मुद्दों पर चर्चा

National Conference of Young Psychiatrists in Bhopal : भोपाल में भारतीय मनोचिकित्सक समिति (Indian Psychiatric Society) के युवा मनोचिकित्सकों की सब कमेटी का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (YPCON 2023) संपन्न हुआ। यह सम्मेलन डिजिटल मेंटल हेल्थ पर आधरित था। सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न विषयों पर साइंटिफिक सेशन, पेपर/पोस्टर्स प्रेजेंटेशन और सेमिनार आयोजित किये गए। इनमें एलजीबीटीक्यूआई के मानसिक/भावनात्मक स्वास्थ्य के मुद्दे; यौन, लैंगिकता और यौनिकता का परिचय; डिजिटल तकनीक के युग में बच्चों का यौन उत्पीड़न, न्यूरोमोडूलेशन; आर टी एम एस; विभिन्न मानसिक बीमारियों में उपचार में हुई प्रगति; आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मानसिक स्वास्थ्य, सोशल मीडिया का मनुष्य के व्यवहार पर प्रभाव, इत्यादि महत्व के विषयों पर चर्चा की गई।

इस राष्ट्रीय सम्मेलन की आयोजन समिति के चेयरपर्सन, डॉ आर एन साहू और आयोजन समिति की सचिव, डॉ समीक्षा साहू ने बताया कि पिछले दो दिनों से जारी  सम्मेलन में देश और विदेश से 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। दूसरे के सत्रों में देश के जाने माने बाल मानसिक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ शेखर शेषाद्रि (रिटायर्ड प्रोफेसर, निमहान्स, बंगलोर) ने “डिजिटल तकनीक के युग में बच्चों का यौन उत्पीड़न” विषय पर बोलते हुए कहा कि हमारे यहां बच्चों का यौन उत्पीड़न लगातार बढ़ रहा है जो हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है। डॉ शेषाद्रि ने कहा कि कोविड-19 के दौर में विभिन्न कारणों के चलते बच्चों को काफ़ी कुछ झेलना पड़ा था। कोविड में लोगों की डिजिटल तकनीक पर निर्भरता बढ़ने का गंभीर असर यह हुआ कि बच्चों मैं कई इमोशनल और व्यावहारिक समस्याएं पनप गईं।

बच्चों का डिजिटल उत्पीड़न आज की ख़तरनाक वास्तविकता बन रहा है। यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में तकनीक आधारित बाल उत्पीड़न की घटनाएं 400 फ़ीसदी बढ़ी हैं। यह चौकाने वाले आंकड़े हैं जो यह दर्शा रहे हैं कि बच्चों का उत्पीड़न करने वाले आधुनिक तकनीक का ग़लत उपयोग कर रहे हैं। इसको रोकने के जागरूकता और एडवोकेसी की आवश्यकता है। हमको विशेष तौर पर युवा मनोचिकित्सकों को ज़रूरत है कि वे स्वयं में जागरूक हो कर बच्चों के अभिभावकों को जागरूक करें और नकारात्मकता को सकारात्मकता के साथ पराजित करें।

डॉ आर एन साहू और डॉ समीक्षा साहू ने सम्मेलन के सफल आयोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि मनोचिकित्सकों के द्वारा दिये जाने वाले आधुनिक उपचार और पारिवारिक देखभाल से मानसिक रूप से बीमार लोगों और उनके देखरेखकर्ताओं को बहुत समझ और सहायता मिल रही हैं। सम्मेलन में देश के जानेमाने मनोचिकित्सको ने विभिन्न विषयों पर वक्तव्य दिए। इनमें डॉ शेखर शेषाद्रि, डॉ विहंग वाहिया, डॉ निमेष देसाई, डॉ समीर पारेख, डॉ जी प्रसाद राव, इत्यादि शामिल रहे। सम्मेलन के समापन सत्र मै वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ एस के चतुर्वेदी ने कहा कि सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मानसिक समस्याओं का जल्दी निदान हो उपचार हो उसके लिए और भी गंभीरता से काम किये जाने की आवश्यकता है। समापन सत्र में विभिन्न पेपर्सऔर पोस्टर्स प्रस्तुतियों के पुरस्कार वितरित किये गए।

भोपाल में युवा मनोचिकित्सकों का राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न, दूसरे दिन कई अहम मुद्दों पर चर्चा

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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