Bhopal : क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में नाटक ‘कबिरा खड़ा बाजार में’ का मंचन

Kabira khada bazar me : भोपाल के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में भीष्म साहनी लिखित नाटक ‘कबिरा खड़ा बाजार में’ का आयोजन हुआ। बेपरवाह, निर्भीक, दृढ़ और फक्कड़ व्यक्तित्व वाले मस्तमौला कबीर का व्यक्तित्व सदियों से भारतीय मन को प्रभावित करता रहा है। उस युग की तानाशाही धर्मांधता और आडंबरों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले कबीर आज भी हमारे बीच एक स्थायी और प्रेरक मूल्य की तरह स्थापित हैं। इसी कारण आज भी कबीर के पदों को समाज सुधार की दृष्टि से प्रासंगिक माना जाता है। भीष्म साहनी कृत ‘कबिरा खड़ा बज़ार में’ युग प्रवर्तक कबीर के व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने वाली बहुमंचित और चर्चित नाट्यकृति है। सुविख्यात प्रगतिशील कथाकार भीष्म साहनी की इस नाट्य-रचना को हिन्दी रंगमंच पर व्यापक प्रशंसा मिली है। इस नाटक में संस्थान के B.Ed., M.Ed. एकीकृत के छात्र छात्राओं ने मंचन किया!

कबीर की फक्कड़ाना मस्ती, निर्मम अक्खड़ता और युगप्रवर्तक सोच इस कृति में पूरी जीवंतता के साथ मौजूद है। कबीर की साहित्यिकता सामाजिक जड़ता को तोड़ने का एक माध्यम थी, जिसके सहारे उन्होंने अनेकानेक मोर्चों पर संघर्ष किया। यह नाट्यकृति मध्ययुगीन वातावरण में संघर्ष कर रहे कबीर को उनके पारिवारिक और सामाजिक सन्‍दर्भों सहित आज भी प्रासंगिक बनाती है। इस नाटक के माध्यम से बताया गया कि गरीबी अभिशाप नहीं है बल्कि इसके लिए समाज की कुरीतियां ही जिम्मेदार हैं। नाटक में उस काल की धर्मांधता, अनाचार और तानाशाही के खिलाफ कबीर के निर्भीक, सत्यनिष्ठ और प्रखर व्यक्तित्व को दिखाने तथा कबीर को जीवंत करने का बेहतर प्रयास किया गया।

कार्यक्रम का प्रारंभ संस्थान के प्राचार्य प्रोफेसर जयदीप मंडल के मार्गदर्शन में  किया गया। नाटक की परिकल्पना डॉ. अरुणाभ सौरभ द्वारा तैयार की गई, डॉक्टर अरुणाभ सौरभ संस्थान में समय-समय पर अपने मार्गदर्शन में रंगमंच का आयोजन कराते रहते हैं जिससे छात्र छात्राओं को मानव स्वभाव का सम्यक ज्ञान,  व्यक्तित्व का विकास, संवाद कौशलों के विकास के अवसर प्राप्त होता है। शिक्षण प्रशिक्षण शास्त्र के विद्यार्थियों में नाटक द्वारा रचनात्मक सोच पाठ्यवस्तु को सक्रिय और आकर्षक बनाने के कौशलों का विकास हुआ है। नाटक का निर्देशन अविजित सोलंकी द्वारा किया गया। पिछले १५ वर्षों से रंगकर्म में सक्रिय अविजित सोलंकी अदर थिएटर के संस्थापक सदस्य हैं। रंगकर्म की शुरुआत भोपाल में प्रसिद्ध निर्देशक अलखनन्दन के साथ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय निर्देशकों के साथ रंगमंच का अनुभव है। मप्र नाट्य विद्यालय के प्रथम बैच से एक वर्षीय डिप्लोमा एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ तीन वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा। बतौर निर्देशक देश भर में विभिन्न समुदायों के साथ कार्यशालाओं का संचालन एवं नाटकों का निर्देशन किया है। आपके द्वारा निर्देशित नाटकों में डाकघर, एंटिगनी, बड़े बड़े पंखों वाला बूढ़ा, कला धब्बा बादल की तरह आ रहा है, द लोअर डेप्थ्स, अधांतर आदि प्रमुख हैं! नाटक में संगीत अभिषेक दुबे द्वारा दिया गया। कलाकारों ने कबीर के दोहों और गीतों के माध्यम से नाटक में समां बांध दिया! यह नाटक समाज की कुरीतियों पर एक प्रहार है यह प्रस्तुति लंबे समय तक लोगों को याद रहेगी।

Bhopal : क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में नाटक ‘कबिरा खड़ा बाजार में’ का मंचन

 

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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