जिन समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं ने अपने त्यागपत्र दिए हैं, वह एक समय पार्टी के केंद्र में थे, यह वह जमीनी कार्यकर्ता हैं जो 20 वर्ष और उससे भी लंबे अंतराल से पार्टी का काम करते आ रहे थे, इन्हें प्रत्येक वार्ड एवं ग्राम पंचायतों की जानकारी तथा अच्छी पकड़ है, पूर्व वित्त मंत्री के साथ काम का गहरा अनुभव, उनके अचानक पार्टी से चले जाने का खामियाजा अब भाजपा को भुगतना पड़ सकता है, ग्रामीण अंचलों में ही नहीं बल्कि नगरीय क्षेत्र में भी भाजपा को अच्छी खासी कीमत चुकाना पड़ सकती है।
भाजपा को करना होगा डेमेज कंट्रोल:
त्रिस्तरीय पंचायती राज एवं नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को डैमेज कंट्रोल करना होगा. क्योंकि मलैया समर्थक प्रत्याशी सीधे तौर पर भाजपा को टक्कर देंगे, उस पर कांग्रेस प्रत्याशी भी भाजपा प्रत्याशियों के लिए राह में रोड़ा बनेंगे, जो कार्यकर्ता अभी तक भाजपा का काम करते थे अब वही लोग मलैया समर्थकों के लिए वोट जुटाने का काम करेंगे, ऐसे में पार्टी को अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा, सबसे बड़ी बात यह है की ऐसे सैकड़ों कार्यकर्ता हैं जो गमछा तो भाजपा का डाले होंगे, लेकिन काम मलैया समर्थकों का कर रहे होंगे, भीतरघात से बचना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
मीडिया के सामने फूटा गुस्सा:
अपना इस्तीफा देने के बाद भाजपा नेताओं ने मीडिया के सामने जमकर अपना गुस्सा निकाला, भाजपा के पूर्व महामंत्री रमन खत्री ने कहा कि “बाहर के दलों से आए नेताओं को वरिष्ठ समर्पित कार्यकर्ताओं के सर पर बैठाया जा रहा है, भाजपा की जो मूल विचारधारा है उसे कुछ नेता रौंद रहे हैं, हम लोगों ने 30-30 साल तक काम किया है उसका हमें घोर उपेक्षा के रूप में सिला दिया जा रहा है, इसी उपेक्षा के चलते हमने त्यागपत्र दिया है, इस्तीफा देने वालों का कहना है कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार मुक्त दमोह को लेकर काम करेंगे, ऐसे में अब हम उनके साथ हैं।”
भाजपा की विचार धारा को खत्म किया जा रहा:
पूर्व पार्षद कपिल सोनी ने कहा कि “आज भाजपा की मूल विचारधारा को खत्म किया जा रहा है, पार्टी की जो गतिविधियां है उसे देखकर नहीं लगता कि पार्टी अपनी मूल विचारधारा पर चल रही है,” पूर्व नगर मंडल अध्यक्ष मनीष तिवारी ने कहा कि “पिछले सवा साल से हम लोगों की घोर उपेक्षा हो रही थी, पार्टी की किसी बैठक में नहीं बुलाया जा रहा था, इसीलिए हमने त्यागपत्र दिया है, मैं पूछना चाहता हूं कि क्या हम पांच मंडल अध्यक्षों की ही जिम्मेदारी थी कि वह भाजपा प्रत्याशी को चुनाव जिताएं, हम राहुल सिंह के टिकट देने का विरोध कर रहे थे, उसके बाद भी उन्हें टिकट दिया गया और वह चुनाव हार गए, क्या मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी मंत्री, जिला अध्यक्ष आदि की कोई जवाबदारी नहीं थी, क्या केवल हम पांच मंडल अध्यक्षों की जवाबदारी थी, क्या हमसे पूछ कर के राहुल सिंह को टिकट दिया गया था।