देवास, सोमेश उपाध्याय
जल, जंगल और जमीन आरंभ से आदिवासी(जनजाति)जीवन से जुड़ा रहा है. समय के साथ-साथ बदलाव हुए हैं और यह समाज भी बदला है। बागली विधानसभा में आदिवासीयो की संख्या अनुमानित 45 फीसदी है।जिसमे कोरकू, भील, गोंड, समुदाय के लोग प्रमुख रूप से रहते है। वैसे आदिवासी(जनजाति)समाज प्रकृति प्रेमी होता है और अपनी माटी से सर्वाधिक लगाव रखता है। परन्तु आदिवासी बाहुल्य बागली विधानसभा के आदिवासी समाज के युवा, बुजुर्ग, महिला अपनी माटी छोड़ पलायन को मजबूर है, क्योंकि बागली विधानसभा में रोजगार एक प्रमुख मुद्दा है। विधानसभा में पर्याप्त रोजगार के साधन नहीं होने से कई युवा बेरोजगार है। इतना ही नहीं, रोजगार नहीं होने से क्षेत्र में पलायन की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है।
बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में मप्र से सटे राज्य गुजरात का रूख करते हैं। विधानसभा में बड़े उद्योग या व्यापार नहीं होने से लोगों के सामने हमेशा रोजगार का संकट रहता है। अधिकांश युवा यहां से रोजगार की तलाश में बड़ों शहरों की तरफ जाने को मजबूर है। रोजगार के लिए पलायन की समस्या ग्रामीण अंचल में अधिक है। आदिवासी समाजजन गुजरात में मजदूरी के लिए जाने को मजबूर है। इस समय क्षेत्र में पलायन का दौर जारी है। इसके बाद आदिवासी समाजजन अब वापस भगोरिया के समय लौटते हैं। इसका असर यहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। आदिवासियों के पलायन कर जाने से व्यापार बहुत ही धीमा हो जाता है।
बागली के पुंजापुरा में आज बड़े पैमाने पर विश्व आदिवादी दिवस का कार्याक्रम होना है पर बागली में आदिवासी दिवस मनाना तब ही सार्थक होगा जब यहां का युवा शिक्षित हो व समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर रोजगार से जुड़ा हो। हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में 14 जुलाई को एक सार्वजनिक सभा में बागली को प्रदेश का 53वां जिला बनाने की घोषणा करी है। बागली जिला बनने से यहां बसे आदिवासी वर्ग को ही सर्वाधिक लाभ होगा।
वहीं बागली विधायक पहाड़ सिंह कन्नौजे ने कहा कि सबसे पहले तो सभी क्षेत्रवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं। हम क्षेत्र के विकास के लिर दृढ़ संकल्पित है। हाल ही में सीएम शिवराज ने बागली को जिला बनाने की घोषणा की है, निश्चित इसके दूरगामी परिणाम जनजाति वर्ग के लोगों के उत्थान के रास्ते भी निकलेंगे। इसी के साथ जनजाति छात्रावास और बेहतर चिकित्सीय व्यवस्था हो इसके भी प्रयास करेंगे।